
बिहार न्यूज़ डेस्क पंचायत सचिवों को पंचायत के नाम से पोर्टल पर पंजीकरण कर जीएसटी नंबर लेना होगा. बिना जीएसटी नंबर लिये विकास कार्य कराने वाले पंचायत सचिव कानूनी लफड़े में फंस सकते है. पंचायतों में निर्माण सामाग्री का भुगतान करने से पहले दो प्रतिशत टैक्स काटना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने वाले पंचायत सचिवों पर जुर्माना लगेगा.
पंचायत स्तर की योजनाओं के लिए पंचायत सचिवों को कार्य एजेंसी बनाया गया है. पंचायत सचिवों के लिए विभाग ने जीएसटी लेकर काम करने का आदेश दिया है. जिले के 60 फीसद पंचायत सचिवों ने ही पोर्टल पर पंजीकरण कराया है. 40 फीसद पंचायत सचिवों द्वारा पंजीकरण कराने की सूचना जिला पंचायत राज को नहीं दी गयी है. प्रखंड लेखा फैसिलेटर शंकर कुमार ने बताया कि सभी पंचायत सचिवों को पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है.
पंचायत सचिवों को कानूनी जानकारी दे दी गयी है. विभाग द्वारा जल्द ही कार्यशाला का आयोजन कर कानूनी प्रावधानों से अवगत कराया जायेगा.
विकास के लिए दी जाती है राशि
त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को केन्द्र से विभिन्न मदों में अनुदान की राशि उपलब्ध करायी जा रही है. राज्य सरकार को प्राप्त अनुदान की राशि से पंचायती राज संस्थाओं द्वारा जनहित में विभिन्न प्रकार के विकास योजनाओं पर काम कराये जा रहे हैं. योजनाओं में भुगतान-व्यय की गयी राशि के आलोक में आयकर, टीडीएस, माल और सेवा कर, खनिज सम्पदा शुल्क, श्रम उपकर की कटौती का वैधानिक प्रावधान किया गया है.
सरकारी टैक्स की कटौती के बाद ही भुगतान
पंचायत राज संस्थानों के कर्मचारियों को योजना की व्यय राशि से सरकारी(जीएसटी)टैक्स की कटौती के बाद ही भुगतान किये जाने का आदेश है. भुगतान की कटौती का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायत के मुखिया, पंचायत सचिव को दिया गया है. कार्य में पंचायतों में पदस्थापित लेखापाल सहयोग करेंगे. अनुश्रवण व अनुपालन पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा कराया जाएगा.
नालंदा न्यूज़ डेस्क