बिहार न्यूज़ डेस्क ललित नारायण तिरहुत महाविद्यालय में बीसीए विभाग के तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ का आयोजन किया गया. विषय प्रवेश कराते हुए बीसीए के कोऑर्डिनेटर डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि अंतरिक्ष एक ऐसा विषय है, जिसके संदर्भ में सोचते ही हम चांद तक पहुंच जाते हैं. इसलिए इस कार्यक्रम की परिकल्पना चांद को स्पर्श करते हुए जीवन को छूना है. आज चंद्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण के एक वर्ष पूरे हो गए. इस उपलक्ष्य में हम सभी एकत्रित हो अंतरिक्ष दिवस मना रहे हैं.
मुख्य अतिथि बीआरएबीयू के भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ. ललन कुमार झा ने कहा कि विज्ञान का इतिहास अपने आप में अनोखा है. प्योर साइंस और अप्लाइड साइंस ने अपने आप को इतना विकसित कर लिया है कि आज हम नेचुरल सैटेलाइट से जियो सैटेलाइट तक पहुंच चुके हैं. आज हमारे पास जीपीएस जैसे सिस्टम उपलब्ध हैं. कभी वह दिन भी था जब हम 60 के दशक में यह सोच भी नहीं सकते थे कि विज्ञान के क्षेत्र में हम ऐसी प्रगति कर पाएंगे, क्योंकि हमारे पास देश चलाने के लिए पैसे की कमी थी. आज हम गंगायान, शुक्रियान, मंगलयान से सफर तय करते हुए चंद्रयान एक चंद्रयान दो और चंद्रयान-तीन की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं. अध्यक्षीय संबोधन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अभय कुमार सिंह ने कहा कि दर्शन और विज्ञान का अन्योन्याश्रय संबंध है. विज्ञान को समझने के लिए दर्शन को समझना होगा. उन्होंने कहा कि विज्ञान शरीर की व्याख्या कर सकता है लेकिन शरीर की आत्मा को दर्शन ही समझ सकता है.
कार्यक्रम में बीसीए विभाग के डॉ. प्रमोद कुमार और डॉ. आरती ने भी अपने विचार रखे. छात्रों द्वारा अंतरिक्ष संदर्भित मॉडल, पोस्टर और खोजी सोच की कई प्रस्तुतियां की गईं. छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए, जिसमें तान्या लाडली और श्रीस ने भाग लिया. मंच संचालन डॉ. आरती व डॉ. सुनील कुमार ने किया.
नालंदा न्यूज़ डेस्क