Nalnda बालू ढुलाई नियमों की अनदेखी से बढ़ा प्रदूषण,जिला प्रशासन के जिम्मेवार अधिकारी साधे हैं मौन

बिहार न्यूज़ डेस्क प्रागैतिहासिक काल से स्वास्थ्य लाभ के लिए देश-दुनिया के लोग राजगृह आते रहे हैं. लेकिन, अब हालात ऐसे कि सेहत बिगाड़ना है तो राजगृह का रूख करें. क्योंकि, पंच सुरम्य वादियों से घिरा यह शहर सूबे ही नहीं देश के टॉप फाइव सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हो गया है.
इसका कारण यह कि बालू-मिट्टी ढुलाई व निर्माण में मानकों की अनदेखी धड़ल्ले से की जा रही है. यही कारण है कि 8 व 13 को राजगीर सूबे का सबसे प्रदूषित शहर बन गया था. कमोबेश यही हाल अब भी बना है. यानि, वहां की हवा को महज चंद मिनट सांस में लेने पर एक सिगरेट पीने से भी अधिक हानि शरीर को पहुंच रही है. 15 अक्टूबर को बालू खनन शुरू होने के बाद एकबारगी राजगृह की एक्यूआई काफी बढ़ गयी थी. प्रदूषण में इतना इजाफा हुआ कि मानों हवा में ‘जहर’ घोल दिया गया हो! बावजूद, जिम्मेवार अधिकारी मौन साधे हुए हैं. प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन के अलावा नगर निकाय व वन विभाग जिम्मेवार है. लेकिन, इतना शोर होने के बाद भी अधिकारियों ने बैठक बुलाकर चर्चा करने तक मुनासिब नहीं समझा. जबकि, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिले को पत्र लिखकर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाने की चेतावनी दी है. साथ ही, लोगों को इसके प्रति जागरूक करने को भी कहा है.
कम समय में ये उपाय करें
शॉर्ट टर्म उपायों में रोजाना वाहनों का प्रदूषण जांच हो. रिक्शा व राहीगरों के लिए अलग पाथवे हो. पेट्रोलियम में मिलावट पर रोक लगे. अधिक धुआं देने वाले वाहनों पर फाइन का प्रावधान सख्ती से लागू हो. पीक आवर (सुबह 8 से 11 और शाम 5 से 8 बजे) तक भारी मालवाहकों का रूट शहर से अलग वाला तय किया जाये. कूड़ा-कचरा के निपटान का प्रबंधन बेहतर हो. अधिक से अधिक पौधे लगाये जाएं. निर्माण सामग्रियों की ढुलाई ढंके वाहनों से हो.
राजगृह क्षेत्र में धड़ल्ले से ट्रैक्टरों द्वारा बिना ढंके बालू ढोया जा रहा है. इसपर नकेल कसने की जरूरत है. साथ ही, निर्माण कार्य करने के दौरान मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है. शीघ्र ही तीन सदस्यीय टीम राजगीर का दौरा कर प्रदूषण बढ़ने और उसके नियंत्रण के उपायों का अध्ययन करेगी.
- डॉ. देवेन्द्र कुमार शुक्ला,
चेयरमैन, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
नालंदा न्यूज़ डेस्क