Nalnda दोहरीकरण का सर्वे कार्य पूरा डीपीआर बनाने में जुटी एजेंसी,तिलैया-बख्तियारपुर खंड के दोहरीकरण से दो सौ गांवों के लोगों को होगा फायदा

बिहार न्यूज़ डेस्क क एजेंसी के ब्लैकलिस्टेड होने के बाद दूसरी कार्य एजेंसी ने तिलैया-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण का सर्वे कार्य पूरा कर लिया है. मिट्टी जांच की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गयी है. कार्य एजेंसी के अधिकारी डीपीआर बनाने में जुट गये हैं.
इसके बाद डीपीआर का भौतिक सत्यापन किया जाएगा. डीपीआर बनने के बाद रेलखंड के दोहरीकरण की लागत का अनुमान लगाया जा सकेगा. लागत तय होने के बाद सबकुछ ठीक-ठाक रहने पर मंडल व जोनल कार्यालयों के माध्यम से डीपीआर रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी. बोर्ड से अनुमति मिलने
पर दोहरीकरण का काम शुरू कर दिया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि इसके दोहरीकरण पर रेलवे बोर्ड का पूरा ध्यान है. जितनी जल्दी हो, काम पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा. अमुमन सिर्फ एक किलोमीटर रेललाइन बिछाने में करोड़ की लागत आती है. तिलैया-बख्तियारपुर रेलखंड की कुल लंबाई 96 किलोमीटर है. लेकिन, तिलैया में बाईपास बनाने के कारण यह लंबाई तकरीबन 101 किलोमीटर हो जाएगी. इसके बीच 12 अत्याधुनिक यार्ड बनाने की अनुशंसा की गयी है. बख्तियारपुर से राजगीर के बीच 13 तो राजगीर से तिलैया के बीच चार बड़े पुल बनाये जाएंगे.
इसी तरह, इस बीच 282 छोटे पुलों का निर्माण किया जाएगा. बख्तियारपुर से वेना यार्ड के पहले तक 13 किलोमीटर वर्तमान रेललाइन के पूरब में दूसरी नई लाइन बिछायी जाएगी. इसके बाद पश्चिम में नई लाइन बिछाने की डिजाइन बनायी गयी है. बख्तियारपुर से राजगीर के बीच नौ यार्ड बख्तियारपुर, करनौती, हरनौत, वेना, बिहारशरीफ, पावापुरी रोड, नालंदा, सिलाव व राजगीर में बनाये जाएंगे. जबकि, राजगीर से तिलैया के बीच तीन यार्ड नटेसर, जेठियन व जगदीशपुर में बनाये जाने हैं. हर यार्ड में दो मेन लाइन के अलावा छह संटिंग लाइनों का निर्माण होगा.
क्या होता है यार्ड रेल यार्ड, रेलवे स्टेशन से भिन्न वह स्थान है, जहां रेलगाड़ी यात्रा पूरी करने के बाद और पुन यात्रा आरंभ करने से पहले खड़ी होती है. यहां सामान के भंडारण, लोडिंग और अनलोडिंग होती है. रेल कारों और लोकोमोटिव के लिए रेल पटरियों की एक जटिल श्रृंखला है.
नालंदा न्यूज़ डेस्क