
बिहार न्यूज़ डेस्क भारत को वर्ष 2025 तक टीबीमुक्त बनाना है. इसके लिए निक्षय मित्र, सहायता राशि, जांच, इलाज व रोगियों का नियमित देखभाल की जा रही है. इस अभियान में सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) का अहम रोल है. इसमें लापरवाही बरतने वाले बिंद, करायपरसुराय, चंडी, रहुई व इस्लामपुर प्रखंड के एसटीएस से शोकॉज पूछा गया है. तीन दिन में जवाब देना है. साथ ही, बैठक में शामिल नहीं होने वाले सरमेरा व करायपरसुराय के एसटीएस का एक दिन का वेतन काटते हुए स्पष्टीकरण मांगा है.
सदर अस्पताल सभागार में संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी (सीडीओ) डॉ. राकेश कुमार ने इस अभियान की समीक्षा की. एसटीएस से कार्यशैली में सुधार लाने का आदेश दिया. बैठक में अर्चना कुमारी, संतोष कुमार व अन्य मौजूद थे.
जिला में टीबी के 2133 रोगी जिला में फिलहाल टीबी के दो हजार 133 रोगी हैं. सबसे अधिक एक हजार 5 रोगी बिहारशरीफ प्रखंड में तो सबसे कम मात्र 11 रोगी बिंद प्रखंड में हैं. सिर्फ प्रखंडों में ही दो अंकों में रोगियों की संख्या है. इनमें से पांच प्रखंडों में तो रोगियों की संख्या 20 से भी कम है. इन रोगियों का व्लर्ड हेल्थ पार्टनर (डब्ल्यूएचपी) एजेंसी के माध्यम से नियमित फॉलोअप लिया जा रहा है.
नालंदा न्यूज़ डेस्क