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Nalanda कुढ़नी में फोरलेन किनारे बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम

Nalanda कुढ़नी में फोरलेन किनारे बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम

बिहार न्यूज़ डेस्क कुढ़नी प्रखंड के बलिया के पास हाजीपुर-मुजफ्फरपुर फोरलेन किनारे इंटरनेशनल स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा. खेल को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव डीएम सुब्रत कुमार सेन ने मुख्यालय को भेजा है. इस स्टेडियम में एक लाख लोगों के बैठने की क्षमता होगी. स्टेडियम के प्रस्ताव को मुख्यालय से मंजूरी के बाद जिला प्रशासन डीपीआर तैयार कराएगा. डीएम ने इसकी पुष्टि की है.

बलिया में इसी प्लॉट में से एक बीघा जमीन में फकुली थाना बनाने का प्रस्ताव बना था. इसके लिए जमीन चिह्नित भी की गई. पुलिस महकमे को जमीन हस्तगत कराने से पूर्व डीएम सुब्रत कुमार सेन ने स्थल निरीक्षण किया. पाया गया कि करीब 12 एकड़ जमीन है. उन्होंने कहा कि फोरलेन किनारे काफी अच्छा लोकेशन है. यहां पर इंटरनेशनल स्टेडियम बेहतर होगा. जरूरत पड़ने पर और जमीन अधिग्रहण की जा सकती है. डीएम ने उक्त स्थल पर थाना भवन बनाने पर रोक लगा दी है. कुढ़नी सीओ को थाना के लिए दूसरी जमीन तलाश करने का निर्देश दिया है.

बता दें कि जिले में ढंग का एक भी खेल ग्राउंड और स्टेडियम नहीं है. इसको लेकर खेल का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है. जिले के खिलाड़ी दूसरी जगहों पर प्रैक्टिस और खेलकर नेशनल स्तर पर नाम कमा रहे हैं. शहर में सिकंदपुर स्थित स्टेडियम की भी स्थिति खराब है. खुदीराम बोस खेल ग्राउंड का भी विकास अधूरा है. स्मार्ट सिटी से इसके विकास का प्लान बना, लेकिन मूर्त रूप नहीं ले पाया. खेल को प्रोत्साहन के लिए मुख्यालय से बार-बार निर्देश आते रहे हैं. ऐसे में डीएम ने कुढ़नी प्रखंड के बलिया में इंटरनेशनल स्टेडियम का प्रस्ताव तैयार कराया है. सूत्रों के अनुसार इस स्टेडियम के निर्माण पर 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च का अनुमान है. बड़ा आयोजन होने पर आसपास में रोजगार का सृजन भी होगा.

डिप्टी मेयर ने दी जन आंदोलन की चेतावनी

निगम के 49 पार्षदों के साथ मेयर व डिप्टी मेयर के नाम से जुड़े 51 बोर्ड लगाने में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए डिप्टी मेयर डॉ. मोनालिसा ने निगम की हर योजना में गड़बड़ी का आरोप लगाया. साथ ही इस मामले में संज्ञान नहीं लेने पर जन आंदोलन की चेतावनी दी.  उन्होंने कहा कि फर्जी रसीद घोटाले को दबा दिया गया.

मास्टरमाइंड विजय कुमार के संरक्षणकर्ताओं की पहचान करके अवैध उगाही में शामिल चेहरों की जांच होनी चाहिए. निगम के सैरात की बंदोबस्ती के नाम पर अवैध वसूली का खेल हो रहा है. हाजिरी घोटाला में शामिल दागी आउटसोर्सिंग एजेंसियों को कैसे समय विस्तार दिया गया. सशक्त स्थायी समिति की बैठक में पास किए गए वित्तीय मामलों को बोर्ड में नहीं रखा जाता है. इसको लेकर पूर्व में बार-बार पत्राचार करने के बावजूद अब तक संज्ञान नहीं लिया गया है.

 

नालंदा  न्यूज़ डेस्क

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