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Nalnda तिलैया-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण सर्वे का निकला टेंडर, 119 साल के बाद आया दोहरीकरण का प्रस्ताव
 

Nalnda तिलैया-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण सर्वे का निकला टेंडर, 119 साल के बाद आया दोहरीकरण का प्रस्ताव

बिहार न्यूज़ डेस्क तिलैया-राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण के सर्वे का टेंडर निकाल दिया गया है. 96 किलोमीटर लंबी रेललाइन का सर्वे 12 माह में पूरा किया जाना है. बिहार से झारखंड को जोड़ने वाला यह शॉर्टेस्ट रूट है. इसके दोहरीकरण होने से झारखंड से लाया जाने वाला कोयला को निर्बाध रूप से कम समय में बाढ़ एनटीपीसी पहुंचाया जा सकेगा. इसी तरह, बरौनी में बनी खाद को दक्षिण बिहार सहज रूप से पहुंचाया जा सकेगा. वहीं दूसरी ओर, राजगीर, नालंदा व पावापुरी पर्यटक स्थलों की सैर करने वालों को सहूलियत होगी. जबकि, नालंदा विश्वविद्यालय व हरनौत रेल कारखाना पहुंचना अपेक्षाकृत आसान हो जाएगा.

जुलाई में ही ईस्ट-सेंट्रल रेलवे ने तिलैया-राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण की स्वीकृति दी थी. रेलखंड के सर्वे के लिए पहले चरण में एक करोड़ 31 लाख 40 हजार 476 रुपये जारी किये गये हैं. सर्वे के बाद डीपीआर (विस्तृत प्राक्कलन रिपोर्ट) बनाकर रेलवे बोर्ड भेजी जाएगी. स्वीकृति मिलने के साथ ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. कार्य एजेंसी को डेढ़ साल में रेलखंड का दोहरीकरण करने का लक्ष्य दिया जाना है.
क्या-क्या होगा सर्वे फाइनल लोकेशन के साथ ही मिट्टी जांच का सर्वे किया जाएगा. किन-किन स्थानों पर पुल अथवा अन्य संरचनाएं बनाने की जरूरत पड़ेगी, इसका भी सर्वे होगा.
रोजाना 30 मालगाड़ियां कोरोना काल से पहले तक इस रेलखंड पर 10 जोड़ियां यात्री ट्रेनें चलती थीं. लेकिन, राजगीर-हावड़ा फास्ट पैसेंजर के बंद होने से अब सिर्फ नौ जोड़ी यात्री ट्रेनें ही चलती हैं. इसपर सबसे अधिक मालवाहक ट्रेनें चलती हैं. रोजाना करीब 30 मालगाड़ियां झारखंड से कोयला लेकर बाढ़ एनटीपीसी जाती हैं. जबकि, बरौनी में खाद उत्पादन शुरू होने के बाद तकरीबन इतनी या इससे अधिक मालगाड़ियां और चलने लगेंगी. ऐसे में इसकी उपयोगिता काफी बढ़ जाएगी. बाढ़ एनटीपीसी को कोयला लाने के लिए पहले एकमात्र रूट कोडरमा-गया-पटना-बख्तियारपुर-बाढ़ था. अब कोडरमा से गया जंक्शन गये बिना ही मानपुर से मालगाड़ियां तिलैया व बख्तियारपुर होते हुए बाढ़ पहुंच जाती हैं. इसमें करीब 100 किलोमीटर की दूरी घट जाती है. साथ ही, समय आधा से भी कम लगता है. क्योंकि, अधिक ट्रैफिक वाले पटना व गया जंक्शन जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. लेकिन, दोहरीकरण होने से यह समय और घटेगा.

नालंदा  न्यूज़ डेस्क
 

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