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Muzaffarpur उदासीनता बूढ़ी गंडक जांच के नाम पर खानापूर्ति, अधिकारी झाड़ रहे पल्ला

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बिहार न्यूज़ डेस्क  शहर के बीच से गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी का पानी प्रदूषण की चपेट में आकर काला पड़ गया है. यह स्थिति पिछले तीन-चार सालों में गंभीर होती गई है, लेकिन संबंधित विभाग एक दूसरे पर जवाबदेही टालकर पल्ला झाड़ रहे हैं. जल संसाधन विभाग ने हाथ खड़ा कर दिए हैं. विभाग के कार्यपालक अभियंता बबन पांडेय ने कहा कि वे सिर्फ बाढ़ नियंत्रण का काम ही देखते हैं. पानी की गुणवत्ता या उससे संबंधित किसी अन्य परेशानी से उनका कोई लेना-देना नहीं है. इस पर मत्स्य विभाग या लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के अधिकारी ही बेहतर बता सकते हैं.

पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार ने इसे अपने कार्य क्षेत्र से बाहर का मामला बताते हुए पल्ला झाड़ लिया. ऐसे में नदी के गंदे पानी की सफाई का मामला तीन विभागों में उलझ गया है. जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ. नूतन ने कहा कि मछलियों के मरने पर एक ही जगह का नूमना लिया गया था. इसमें केवल पीएच बढ़े होने की बात कही गई है, लेकिन इससे जलचरों के मरने की संभावना से वह इंकार करती हैं.

सिकुड़ रही नदी की धारा नदियों के संरक्षण पर कार्य कर रहे पर्यावरणविद अनिल प्रकाश कहते हैं कि लगातार बढ़ते प्रदूषण व गंदगी के कारण नदी की धारा जहां सिकुड़ रही है, वहीं नदी तल में गंदगी के जमाव से भूगर्भ जल का स्राव भी बंद होता जा रहा है. गर्मी की शुरुआत से ही नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है. इससे धारा के बीच मिट्टी के टीले निकल आए हैं. इसके बावजूद बीते  वर्षों में किसी भी विभाग के स्तर से नदी के पानी को साफ रखने के लिए कोई पहल नहीं की गई है.

 

 

मुजफ्फरपुर न्यूज़ डेस्क 

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