बिहार न्यूज़ डेस्क सीसीटीवी व ट्रैफिक सर्विलांस सिस्टम, इमरजेंसी कॉल बॉक्स, फ्लड सेंसर और पर्यावरण सेंसर लगाने की योजना पूरी हो गई. निर्माण एजेंसी को करीब 3 करोड़ रुपये का भुगतान भी हो गया, लेकिन महीने बाद भी इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर कारगर नहीं है. शहर की सुरक्षा व्यवस्था को तकनीकी तौर पर चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए स्मार्ट सिटी की योजना के तहत विभिन्न इलाकों में 500 से अधिक सीसीटीवी लगाए गए. लेकिन, अब तक इस सिस्टम से न तो सही से ट्रैफिक कंट्रोल हो पा रहा है और न अपराधियों की सही से निगरानी हो पा रही है.
इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर का उद्घाटन बीते साल फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. स्थिति यह है कि अब तक सभी कैमरे काम नहीं कर रहे हैं. कुछ समय पहले हरिसभा चौक इलाके में मेयर निर्मला साहू के रिश्तेदार के साथ हथियारबंद अपराधियों ने लूटपाट की. बाद में पीड़ित जब पुलिस के साथ कंट्रोल-कमांड सेंटर पहुंचे तो पता चला कि घटनास्थल वाले इलाके में सीसीटीवी बंद है. पिछले साल प्रोपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड के बाद भी स्मार्ट सिटी के कैमरों से हत्यारों की गतिविधियों का कोई सुराग नहीं मिला था. गिने-चुने मामले को छोड़ कर अधिकतर आपराधिक वारदातों में सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम अपराध या अपराधियों के बारे में सुराग देने में नाकाम रहा है.
स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यों के दौरान केबल क्षतिग्रस्त होने से सीसीटीवी या ट्रैफिक सिग्नल में समस्या आ जाती है. तत्काल उसके समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. मेंटनेंस को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं.
- निर्मला साहू, मेयर सह डायरेक्टर, एमएससीएल
पर्यावरण सेंसर दे रहे उटपटांग आंकड़े
एमआईटी समेत इलाकों में पर्यावरण सेंसर लगाए गए. चालू होने के बाद वायु प्रदूषण को लेकर इससे उटपटांग आंकड़े आने लगे. कुछ इलाकों के रोज एक ही एक्यूआई आंकड़े मिलने लगे. इसपर नगर आयुक्त ने जांच की बात कही. इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम भी आई पर स्थिति जस की तस है.
फ्लड सेंसर से नहीं मिला कोई फायदा
जलजमाव के खतरे के बारे में समय रहते आगाह करने को लेकर सोनार सिस्टम से लैस फ्लड सेंसर लगाए गए. इन्हें जगहों पर कल्वर्ट में लगाया गया. हालांकि पिछले साल बारिश के मौसम में इसका फायदा नहीं दिखा. पता चला कि सेंसर तक पानी ही नहीं पहुंच सका.
मुजफ्फरपुर न्यूज़ डेस्क