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Munger लावारिस कुत्तों के बंध्याकरण के लिए नहीं हैं कोई योजना

शहरों में कुत्‍तों का आतंक​कुत्‍तों के हमले की खबरें लगभग सभी शहरों से आए दिन आती हैं। कभी लिफ्ट में बच्चे तो कभी पार्क में युवा और कभी-कभी खुद कुत्‍ते के मालिक जानलेवा हमले के शिकार होते हैं। यही वजह है कि पिछले एक साल में रेबीज हुई मौतों के मामले बढ़े हैं।

बिहार न्यूज़ डेस्क लावारिस कुत्ते लगातार शहर में राहगीर को काट रहे हैं. सरकार को हर महीने लाखों रुपए एंटी रेबीज की सूई पर खर्च हो रही है. मगर बचाव के लिए नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग के पास कोई कार्य योजना नहीं है. हालत यह है कि आवारा कुत्ता से लेकर पालतू कुत्ता का भी कोई आंकड़ा इन विभाग के पास नहीं है. जबकि शहर में लावारिस कुत्ता के अलावा सौ के करीब पालतू कुत्ता भी है, जिसे नियम के अनुसार ही रखना है. मगर नगर निगम का कहना है कि पकड़े जाने पर कार्रवाई होगी. कितने पालतू कुत्ता हैं इसका कोई आंकड़ा या निबंधन का लिस्ट नहीं है. ऐसा ही आलम जिला पशुपालन विभाग का है . न तो लावारिस कुत्ता के बंध्याकरण की कोई योजना है और ना हीं रेबीज वाले कुत्ता की खोज की. हालत अब यह हो गई है कि शहरवासी अपनी सुरक्षा खुद करें नहीं तो कब और कहां कुत्ता काट लेगा इसका कोई ठिकाना नहीं.

जानकारी के अनुसार लावारिस कुत्ता चार रोज पहले गांधी मैदान में टहलने गए करीब सत्तर लोगों को काट लिया था. कई जख्मी का सदर अस्पताल में इलाज हुआ. एंटी रेबीज की सुई पड़ी. कुछ का निजी क्लिनिक में इलाज हुआ. एंटी रेबीज की सूई सदर अस्पताल में दी गई. बाबजूद नगर निगम या पशुपालन विभाग के पास लावारिस कुत्ता से बचाव के लिए कोई कार्य योजना का नहीं होना चर्चा का विषय बन गया है. इस घटना से पूर्व गांधी मैदान में बंदर का आतंक होने पर जाल बिछा बंदर को पकड़ लिया था.

विभाग को लिखा पत्र

इस संबंध में एसीएमओ डाक्टर श्रवण पासवान बताते हैं कि लावारिस कुत्ता से वित्तीय भार सरकार पर बढ़ता जा रहा है . इसको लेकर पशु पालन विभाग को एक पत्र लिख कर लावारिस कुत्तों की नसबंदी करवाने ओर रेबीज वाले कुत्ता का इलाज करवाने के लिए पत्र लिखा जा रहा है.

 

मुंगेर न्यूज़ डेस्क

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