बिहार न्यूज़ डेस्क जिले के किसान खेतों में अगर फसल अवशेष जलाते पाए जाएंगे तो उनपर कार्रवाई की जाएगी. वैसे किसानों को विभिन्न तरह की विभागीय योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा. फसल अवशेष से खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ ही मानव जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. डीएम अरविन्द कुमार वर्मा की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में अंतर विभागीय कार्य समूह की बैठक में ये निर्देश जारी किए गये. डीएम ने फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर उपस्थित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को पूरी गंभीरता से कार्य करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार करवाएं. उन्होंने किसान चौपालों में कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किसानों को फसल जलाने से होने वाले नुकसान एवं पराली प्रबंधन की जानकारी देने का निर्देश दिया. विद्यालयों में बच्चों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दें. फसल अवशेष को जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति को काफी नुकसान पहुंचती है. प्रकृति तथा मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. डीएम बताया कि फसल अवशेषों को खेतो में जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है . फसल अवशेष को खेतो में जलाने से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषित होता. उन्होंने कहा की फसल अवशेष को खेतों में जलाने से सांस लेने में तकलीफ आंखों में जलन नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है.
मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केचुआ आदि मर जाते हैं, साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाता है, फल स्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. बैठक में अपर समाहर्ता, शैलेश कुमार, डीपीआरओ परिमल कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण, गौतम कुमार सहित अन्तर्विभागीय कार्य समूह के सभी सदस्य उपस्थित थे.
मोतिहारी न्यूज़ डेस्क