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Motihari सिकरहना नदी का ध्वस्त बांध का छह वर्ष बाद भी निर्माण नहीं

समस्या

बिहार न्यूज़ डेस्क   वर्ष बाद भी प्रखंड क्षेत्र की सिकरहना नदी के टूटे बांधों की मरम्मत नहीं हो पाई है. इससे इस बार अगर बाढ़ आयी तो सीधे गांवों में प्रवेश कर तांडव मचाएगी. अब तक समस्या के निराकरण के लिए ठोस पहल नहीं की गयी. वर्ष 2017 में आई बाढ़ ने यहां करीब सौ मीटर से अधिक बांध को तोड़ भारी प्रलय मचाया था. फिर वर्ष 2018 के बाद 2019 और 2020 में आई बाढ़ से भारी तबाही मची. सैकड़ों घर नदी में विलीन हुए तो कई लोग नदी की धारा में बह गए. इतने के बाद भी टूटी बांधों की मरम्मत के कई आदेश अब तक सिफर साबित हुए हैं. इसको लेकर ग्रामीण किशुन सहनी ने बताया कि समस्या के निदान के लिए कोई पहल नहीं हो रही है. वहीं सुगंधि देवी,नरेश महतो,बिंदा सहनी,बासमती देवी आदि ने बताया कि जान बचाने के लिए सड़क पर गए थे तो उल्टे केस कर दिया गया.

हर वर्ष होती है भारी क्षति: नगर के वार्ड  के बिशुनपुरवा के नयका टोला व खाप टोला से लेकर सपहां तक बाढ़ को रोकने के लिए बने रिंग बांध कई वर्ष पहले से ही जर्जर हो चुका हैं. पर उसकी मरम्मत को लेकर अबतक कोई कारगर उपाय नहीं किया जा सका. नतीजा वर्ष 17 में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने बची खुची शेष सभी बांधों को बुरी तरह बर्बाद कर दिया. तब से बीते  वर्षों को छोड़ लगातार सुगौली में आ रही बाढ़ से हर वर्ष जान माल की भारी क्षति हुयी है. हालांकि हर वर्ष बाढ़ के बाद स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के यहां जांच के लिए आने और बाढ़ पीड़ितों को फिर से बाढ़ से बचाने का आश्वासन दिया जाता रहा है. पर इन बांधों की मरम्मत ससमय नहीं होने से बाढ़ काल बनकर हर वर्ष तबाही लेकर आ धमकती है. इस वर्ष भी अगर बाढ़ आई तो फिर से सीधे गांवों में पहुंचकर भारी तबाही मचाएगी.

 

मोतिहारी  न्यूज़ डेस्क

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