उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. सोमेन्द्र तोमर ने विनायक कालोनी के रास्ते के मामले में मेयर कैंप ऑफिस में मीडिया से बातचीत करते हुए अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि वे जब विधायक भी नहीं बने थे, तब उन्होंने विनायक विद्यापीठ की जमीन की खरीद की थी. 2016 से अब तक कोई विवाद नहीं हुआ. अब शिकायत होने लगी. उधर, शिकायत के बाद एसडीएम सरधना की जांच रिपोर्ट में रास्ते को लेकर हरी झंडी दी गई है.
विनायक कालोनी के रास्ते को लेकर बार-बार कुछ लोग प्रदर्शन और शिकायत कर रहे हैं. इस पर एसडीएम सरधना की जांच रिपोर्ट 30 अगस्त को डीएम को दी गई. इससे पूर्व 2016 में यह मामला अपर सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट संख्या-3 में भी निर्णित हो चुका है. डीएम को दी गई रिपोर्ट में एसडीएम सरधना ने कहा कि तहसीलदार ने विवादित रास्ते को लेकर जांच की. जांच में पाया गया कि श्री विनायक एजुकेशनल एवं सोशल वेलफेयर ट्रस्ट विजेन्द्र सिंह और साई एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम संबंधित खसरा नंबर दर्ज है. विवादित भूमि/रास्ता खसरा नंबर-1688 से संबंधित है. इसमें निजी किसानों का नाम भी दर्ज है. राजस्व अभिलेख शिजरा में उक्त स्थान पर कोई सरकारी रास्ता अंकित नहीं है. खसरा संख्या 1688 में लगा हुआ गेट भी लगभग 10 वर्ष पुराना है. रास्ते को लेकर एक समझौते की नकल और कोर्ट का आदेश भी जांच के दौरान विनायक विद्यापीठ के निदेशक विकास कुमार ने पेश किया. इस तरह तहसीलदार की जांच के आधार पर एसडीएम सदर ने हरी झंडी दे दी.
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी से मिले लोग
उधर, विनायक कालोनी के रास्ते को लेकर और प्लाटों के अतिक्रमण को लेकर पूर्व सैनिकों के नाम से एक ज्ञापन जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को दिया गया. नायक नीरज कुमार और अन्य की ओर से दिये गये ज्ञापन में जिला सैनिक कल्याण बोर्ड से प्लॉट पर जाने वाले रास्ते के अतिक्रमण को हटवाने और सही जांच कराकर रास्ता खुलवाने का अनुरोध किया गया है. इन लोगों ने 2021 में प्लॉट खरीदने की बात कही है. आरोप लगाया कि पहले रास्ता था, लेकिन जुलाई 2024 में ऊर्जा राज्य मंत्री डा.सोमेन्द्र तोमर ने प्लॉटों पर कब्जा कर रास्ता बंद कराकर पेड़ लगवा दिये. तब कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई.
मेरठ न्यूज़ डेस्क