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Mathura  रेलवे अधिकारी को पांच साल की कैद

Indore पत्नी के हत्यारे पति को आजीवन कारावास

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   गाड़ियों की मरम्मत के फर्जी बिल बनाकर रेलवे को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोपी एनई रेलवे डीआरएम कार्यालय वाराणसी में तैनात तत्कालीन फिटर ग्रेड वन सीनियर डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर (सीएंजडब्ल्यू) पीके दत्ता को दोषी करार देते हुए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विजेश कुमार ने पांच साल के कठोर कारावास एवं 55 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.

सीबीआई की ओर से अदालत को बताया गया कि डिप्टी सीवीओ स्टोर्स एनई रेलवे राजीव कुमार की शिकायत पर सीबीआई ने यह मुकदमा दर्ज किया था. आरोप लगाया गया है कि पीके दत्ता ने वर्ष 06 एवं 07 के दौरान मेसर्स विंटेक इंजीनियरिंग एवं मेसर्स न्यूटेक इंटरप्राइजेज वाराणसी के साथ आपराधिक षड़यंत्र करके सरकारी गाड़ियों के मरम्मत बिल तैयार कराया और दोनों के नाम से भुगतान करा लिया. इससे रेलवे को . 71 लाख की क्षति हुई. पीके दत्ता ने सक्षम अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर भुगतान के लिए बिल भेजा. जहां से कार्रवाई के बाद दोनों निजी फर्मों को भुगतान कर दिया गया. विवेचना के दौरान अधिकारियों ने अपने हस्ताक्षर होने से इनकार कर दिया. मुकदमे में मेसर्स न्यूटेक इंटरप्राइजेज की प्रोपराइटर वंदना गुह की पत्रावली अलग कर दी गई थी. जबकि मेसर्स विंटेक इंजीनियरिंग वाराणसी की प्रोपराइटर सुधा सिंह को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने दोष मुक्त कर दिया है. सीबीआई ने  जनवरी 09 को आरोप पत्र दाखिल किया था तथा कोर्ट ने 16 जनवरी 12 को आरोप तय किए थे.

18   को कोर्ट ने दोषी ठहराया था.

खीरी के एडीओ चार अप्रैल तक भेजे गए जेल

परिवार रजिस्टर पर नाम सही करने के लिए पचास हजार रुपए घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार लखीमपुरखीरी के ईसानगर ब्लॉक के एडीओ पंचायत शिवाशीष शरण श्रीवास्तव को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने चार अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया है. न्यायिक रिमांड की अर्जी पर सरकारी वकील शैलेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता शिवकुमार मौर्य ने भ्रष्टाचार निवारण लखनऊ के निरीक्षक से 11  को शिकायत की थी कि बड़े भाई श्रीराम की मृत्यु के बाद भतीजा ललित शंकर उनके साथ रहता है. अदालत को बताया गया कि श्रीराम की मृत्यु के बाद परिवार रजिस्टर में ग्राम विकास अधिकारी ने अवैध रूप से विजय शंकर पुत्र नंदराम कर दिया, जबकि नंदराम की जगह श्रीराम होना चाहिये था.

नाम ठीक करने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र पर जांच कर नाम सही करने के लिए एडीओ पंचायत शिवशीष शरण श्रीवास्तव ने एक लाख रुपए मांगे थे. कोर्ट को बताया गया कि किसी तरह आरोपी पचास हजार रुपए लेने पर मान गया. 21  को उसे पचास हजार रुपए की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया था.

 

 

मथुरा न्यूज़ डेस्क

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