
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क सावधान यदि आप इस भूल में हैं कि रेड लाइट जंप करेंगे तो कुछ नहीं होगा, तो इस मुगालते में मत रहिए. इटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के कैमरों की नजर से बचना मुश्किल है. इस ऑटोमैटिक चालान सिस्टम पर नजर डालें तो प्रतिमाह में छह हजार से अधिक लोगों के वाहनों का चालान सिर्फ रेड लाइट जम्म करने की वजह से हो रहा है. एक साल में 73 हजार 439 लोगों के वाहनों का चालन आईटीएमएस के जारिए हो चुका है.
स्मार्ट सिटी योजना के तहत 38.54 करोड़ रुपये की लागत से महानगर के 18 प्रमुख तिराहे-चौराहे पर आईटीएमएस योजना के तहत ट्रैफिक सिग्नल और पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम लगाया गया है. इनमें भी भरतपुर गेट चौराहा, नया बस स्टैंड, भूतेश्वर चौराहा आदि ऐसे स्थान हैं, जहां यह सिस्टम तो लगा हुआ है, लेकिन इसके हिसाब से ट्रैफिक का संचालन संभव नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि इन तिराहे-चौराहों पर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर चालान की वाहन चालकों को कोई परवाह नहीं. इसके अलावा टैंक चौराहा, गोवर्धन चौराहा, कृष्णापुरी चौराहा, डीग गेट, अग्रसेन चौराहा आदि ऐसे स्थान हैं, जहां इस सिस्टम के जरिए चालान हो रहे हैं. महानगर में लगाए गए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का कंट्रोल रूम नगर निगम में स्थापित किया गया है. यहां से महानगर के प्रमुख तिराहे-चौराहों पर गुजरने वाले वाहनों पर नजर रखी जा रही है. यही नहीं जेबरा क्रासिंग का उल्लंघन करने, हेलमेट न लगाने वालों को इसी कंट्रोल रूम से पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम के जरिए चेतावनी दी जा रही है. इसके साथ ही रेड लाइट जंप करने वालों के ऑनलाइन चालान भी धड़ाधड़ हो रहे हैं. चालान होने के बाद वाहन चालकों को पता लगता है कि उनका चालान हो चुका है.
पुराने वाहनों की वाहन पंजीकरण प्रमाण-पत्र में मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है. इसलिए बहुत बाद में पता चलता है उनका ऑन लाइन चालान हुआ है. आईटीएमएस के आंकड़ों पर गौर करें तो 8 सितंबर 2022 को ऑनलाइन चालान प्रक्रिया शुरु हुई थी. पहले महीने में 5 हजार 23 लोगों के रेड लाइट जंप करने की वजह से चालान हुए, जबकि दूसरे माह में यह आंकड़ा बढ़कर 9 हजार 309 पर पहुंच गया. सबसे ज्यादा 10 हजार 728 वाहनों के चालान मार्च 2023 में हुए. इस तरह एक साल में 73 हजार 439 वाहनों के चालन हुए हैं. इस कंट्रोल रूम पर निरंतर नगर आयुक्त अनुनय झा द्वारा भी नजर रखी जा रही है. यही नहीं उनके द्वारा दिशा-निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं. ट्रैफिक सिस्टम से जुड़े अधिकारियों की मानें तो यदि महानगर के जिन तिराहे-चौराहों पर यह सिस्टम स्थापित यदि उन सभी पर चालान शुरु कर दिए गए तो यह आंकड़ा छह हजार से बढ़कर प्रतिमाह 15 हजार तक पहुंच जाएगा.
चौड़ीकरण पर नहीं दिया ध्यान
इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को देखते हुए नगर के प्रमुख तिराहे-चौराहों के चौड़ीकरण या उनके सौंदर्यकरण पर ध्यान नहीं दिया गया है. यही वजह है कि रेड लाइट होने की स्थिति में लेफ्ट की साइड में जाने वाले वाहन चालक भी जाम में फंस कर रह जाते हैं. लेफ्ट फ्री की सुविधा इन वाहन चालकों को नहीं मिल पा रही. इसके लिए अभी कोई ठोस प्रयास नगर निगम या यातायात पुलिस द्वारा नहीं किए गए हैं.
सड़क पर खड़ी रहती ढकेल
महानगर के प्रमुख तिराहे-चौराहों पर ढकेल-खोमचा व ऑटो-बैटरी रिक्शा चालकों के जमघट की वजह से भी वाहन चालकों को पूरी तरह से इस सिस्टम का लाभ नहीं मिल पा रहा. अधिकांश तिराहे-चौराहे स्थाई व अस्थाई अतिक्रमण की चपेट में हैं. डीग गेट चौराहे पर ही लेफ्ट फ्री की सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही. इन चौराहों को चौड़ा करना तो दूर की बाद है इन पर होने वाले अस्थाई अतिक्रमण भी नहीं हटाए जा सके हैं.
की जा रही प्लानिंग
स्मार्ट सिटी योजना के तहत नगर निगम अब अगले चरण में तिराहे-चौराहों के हालात सुधारने की प्लानिंग कर रहा है. इसके लिए तिराहे-चौराहों को ट्रैफिक सिस्टम के अनुरूप किया जाना है. यही नहीं ऑटो व बैटरी रिक्शों से लिए पार्किंग स्थल व बस स्टॉप तैयार किए जाने पर विचार चल रहा है
मथुरा न्यूज़ डेस्क