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Madhubani सैकड़ों एकड़ में जलजमाव, खेती पर संकट

इस साल जिले में अच्छी बारिश हुई है। मानसून के लगातार सक्रिय रहने से सभी सभी ताल और जलाशय लबालब है। इभी तक औसत से 31% ज्यादा बारिश हो चुकी है। नतीजतन हमारे सभी जल स्त्रोत अगले दो सालों के लिए रिचार्ज हो चुके हैं। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो साल 2023 तक भू-जलस्तर मेंटेन रहेगा। इस बार मानसून समय से एक दिन पहले आ चुका था। 13 जून के बाद बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आए पानीदार बादल इस कदर बरसे कि जिले में इब तक के वर्षापात के सभी रिकॉर्ड टूट गए।  यहां का सामान्य वर्षापात 1020 मिलीमीटर है। इसके एवज में 4 अक्टूबर तक 1341.2 मिली मीटर बारिश हो चुकी है। अभी हथिया नक्षत्र की शुरुआत है। विगत साल भी जिले में सामान्य से 14% ज्यादा यानी 1258.3 मिमी बारिश हुई थी। इतना ही नहीं जिले के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब गंडक नदी मानसून की पहली बारिश में ही उफान पर आ गई थी। पूरे सीजन में गंडक में चौथी बार उफान देखने को मिला।  उफान पर थी गंडक, दाहा, घोंघारी व बाला नदी 14 प्रखंडों में से 5 में औसत से 20% ज्यादा पानी बरसा 2 प्रखंडों उचकागांव में 1052 व पंचदेवरी में 1081 यानीकि औसत के बराबर ही बारिश हुई है जिले में सामान्य वर्षापात 1020.2 एमएम के मुकाबले 1341.2 एमएम बारिश दर्ज की गई है। यह औसत से 31% ज्यादा है।  15 जून को ही वाल्मीकि नगर  15 जून को ही वाल्मीकि नगर डैम से गंडक बराज के सभी 56 फाटक खुल गए। सामान्य से 31% ज्यादा बारिश का होना जनजीवन व खेती-किसानी के लिए वरदान है। बारिश की बूंदों ने तो अपन फर्ज अदा किया, अब हमारी जिम्मेदारी बन रही है कि इस पानी को सहेज लें। बर्बाद नहीं होने दें। कारण कि दो साल पहले हम बूंद-बूंद के लिए हम तरस रहे थे।  बैकुंठपुर व सिधवलिया में ज्यादा बारिश जिले के सभी 14 प्रखंडों में सामान्य से 20% ज्यादा बारिश हुई है। इसमें सर्वाधिक वर्षापात बैकुंठपुर प्रखंड में 1477 एमएम दर्ज किया गया है। यह सामान्य से 44% ज्यादा है। दूसरा सर्वाधिक वर्षा वाला प्रखंड सिधवलिया है। यहां 1432.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है। यह सामान्य से 40% अधिक और तीसरे स्थान पर हथुआ व सदर प्रखंड है, जहां औसत से 34% अधिक बारिश की बूंदे गिरी है।

बिहार न्यूज़ डेस्क कई चुनाव आये व गए. शासन बदली व शासन पद्धति बदली. मगर झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ जलजमाव वाली जमीन का भाग्य नहीं बदला. लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. लेकिन, कुछ मुद्दे विगत कई वर्षों से मौजूं है. इसमें जलजमाव भी एक मुद्दा है. जलजमाव की समस्या का समाधान सिर्फ आश्वासन की आस तले चल रहा है. किसान वर्षों से टकटकी लगाए हुए हैं.

चैत की चिलचिलाती धूप में भी सैकड़ों एकड़ में जलजमाव किसानों के लिए नासूर बनी हुई है. अठारहवें लोकसभा के चुनावी समर में कूदकर संसद भवन पहुंचने की उम्मीद संजोये उम्मीदवारों की परीक्षा एवं उनसे सवाल-जवाब करने को लेकर झंझारपुर लोकसभा के वोटर तैयार हैं. यह बात दीगर है कि इन समस्याओं से निजात दिलाने का आश्वासन विगत लोकसभा चुनावों में जनता को मिला था. लेकिन चुनाव के बाद किये गए वायदे शायद भूला दिए गये. मतदाता इस वादाखिलाफी का हिसाब लेने का मूड बना रहे हैं.

क्या कहते हैं जलजमाव वाले क्षेत्रों के किसान

बलिया गांव के किसान शंकर मिश्र, लक्ष्मी ठाकुर, जीबछ पासवान, सतीश मिश्र, अशोक मिश्र सहित अन्य किसान कहते हैं कि जीविका का मुख्य साधन कृषि रहते हुए भी जनप्रतिनिधियों का किसानों की समस्या से सरोकार नहीं रह गया है. चुनाव के वक्त सिर्फ आश्वासन देकर अपना नैया पार करा लेते हैं, लेकिन किसानों को मजधार में छोड़ देते हैं. इस बार इस इलाके के किसान जलजमाव को लेकर प्रत्याशियों को घेरने का मन बना रहे हैं. अलबत्ता जो भी हो चौर के विकास के लिए बनी कल्याणकारी योजनायें धरातल पर उतरने के बजाय शायद कागजों पर ही सिमटी पड़ी है. किसान इस आस में है कि उपजाऊ जमीन कब सोना उगलेगी और उनका विपन्न वर्तमान स्वर्णिम अतीत में तब्दील होगा.

 

मधुबनी  न्यूज़ डेस्क

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