बिहार न्यूज़ डेस्क कई चुनाव आये व गए. शासन बदली व शासन पद्धति बदली. मगर झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ जलजमाव वाली जमीन का भाग्य नहीं बदला. लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. लेकिन, कुछ मुद्दे विगत कई वर्षों से मौजूं है. इसमें जलजमाव भी एक मुद्दा है. जलजमाव की समस्या का समाधान सिर्फ आश्वासन की आस तले चल रहा है. किसान वर्षों से टकटकी लगाए हुए हैं.
चैत की चिलचिलाती धूप में भी सैकड़ों एकड़ में जलजमाव किसानों के लिए नासूर बनी हुई है. अठारहवें लोकसभा के चुनावी समर में कूदकर संसद भवन पहुंचने की उम्मीद संजोये उम्मीदवारों की परीक्षा एवं उनसे सवाल-जवाब करने को लेकर झंझारपुर लोकसभा के वोटर तैयार हैं. यह बात दीगर है कि इन समस्याओं से निजात दिलाने का आश्वासन विगत लोकसभा चुनावों में जनता को मिला था. लेकिन चुनाव के बाद किये गए वायदे शायद भूला दिए गये. मतदाता इस वादाखिलाफी का हिसाब लेने का मूड बना रहे हैं.
क्या कहते हैं जलजमाव वाले क्षेत्रों के किसान
बलिया गांव के किसान शंकर मिश्र, लक्ष्मी ठाकुर, जीबछ पासवान, सतीश मिश्र, अशोक मिश्र सहित अन्य किसान कहते हैं कि जीविका का मुख्य साधन कृषि रहते हुए भी जनप्रतिनिधियों का किसानों की समस्या से सरोकार नहीं रह गया है. चुनाव के वक्त सिर्फ आश्वासन देकर अपना नैया पार करा लेते हैं, लेकिन किसानों को मजधार में छोड़ देते हैं. इस बार इस इलाके के किसान जलजमाव को लेकर प्रत्याशियों को घेरने का मन बना रहे हैं. अलबत्ता जो भी हो चौर के विकास के लिए बनी कल्याणकारी योजनायें धरातल पर उतरने के बजाय शायद कागजों पर ही सिमटी पड़ी है. किसान इस आस में है कि उपजाऊ जमीन कब सोना उगलेगी और उनका विपन्न वर्तमान स्वर्णिम अतीत में तब्दील होगा.
मधुबनी न्यूज़ डेस्क