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Madhubani बदहाली सदर अस्पताल में मरीज को गोद में उठाकर ले गए परिजन, ओपीडी से इमरजेंसी का लगाते रहे चक्कर, टूटी कमर के साथ बंद पेशाब से थी परेशानी
 

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बिहार न्यूज़ डेस्क  सदर अस्पताल में ओपीडी के बाहर करीब 30 से 40 मिनट तक एक कमर टूटा मरीज अपने बंद पेशाब की वजह से छटपटा रहा था, बार-बार मोबाइल से परिजन को फोन लगा रहा था. पर मरीज को एक व्हील चेयर तक उपलब्ध नहीं कराया गया. दर्द से कराह रहे मरीज सुधीर यादव ने बताया कि ओपीडी से इमरजेंसी फिर इमरजेंसी से ओपीडी भेजा जा रहा है.

उनके साथ गांव के एक रिक्सावाला आया है. उसकी मदद से वे पहले ओपीडी गये. ओपीडी में डॉक्टर ने इमरजेंसी जाने को कहा. जब इमरजेंसी लाचार मरीज को ले गया तो बोला ओपीडी के डॉक्टर से लिखवाकर लाइए. इस बीच कमर टूटी मरीज को उनके गांव के चौधरी मुखिया गोद में उठाकर इधर से उधर घूम रहे थे. पेशाब बंद रहने की वजह से मरीज सुधीर दास आसपास के लोगोें से भी कह रहे थे, किसी तरह उनको पहले बंद पेशाब के लिए दवा दिलवाइये नहीं तो उनकी जान निकल जाएगी. हालांकि इतना घटनाक्रम हो जाने के बाद भी न तो कोई पारामेडिकल कर्मी उनके सहयोग में आया. न तो उन्हें व्हीलचेयर ही उपलब्ध कराया गया. इस दौरान जब उनका दर्द अत्यधिक बढ़ने लगा तो वे ओपीडी के बाहर ही नीचे में लेट गया. करीब 15 मिनट लेटने के बाद फिर से इमरजेंसी तक ले जाने के लिए अपने साथ आए चौधरी मुखिया से कहा. हालांकि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों की देखरेख में मरीजों का इलाज शुरू किया गया.
अस्पताल में व्हील चेयर और स्ट्रेचर दोनों उपलब्ध हैं. मरीज या उनके परिजनों द्वारा डिमांड करने पर उन्हें उपलब्ध कराई जाती है.
-अब्दुल मजीद, प्रबंधक,सदर अस्पताल

मधुबनी  न्यूज़ डेस्क
 

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