Lucknow हांगकांग इन्फ्लूएंजा की चपेट में आ रहे सर्वाधिक बुजुर्ग और बच्चे, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट, गर्भवती और पीड़ितों के लिए सावधानी जरूरी, उच्च जोखिम समूह में शामिल किया गया

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क हांगकांग इन्फ्लुएंजा (एच3एन2) से छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. दरअसल यही लोग इस इन्फ्लूएंजा के सॉफ्ट टारगेट हैं. यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने छह माह से 8 साल तक के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र वालों को ज्यादा सतर्कता बरतने को कहा है. इन लोगों को उच्च जोखिम समूह में शामिल करते हुए इनका टीकाकरण के भी निर्देश दिए हैं.
इन्फ्लूएंजा के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इसे ज्यादा घातक नहीं मान रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जिलों को अलर्ट जरूर कर दिया है.
वायरस का बदला स्वरूप
पीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि यह वायरस अपना स्वरूप बदलता रहता है. इस बार एच3एन2 में देखने का मिल रहा है. रोजाना 40 के करीब बच्चे आते जिनमें 70 फीसदी संदिग्ध लक्षणों वाले आ रहे हैं.
मरीजों के इलाज के पर्याप्त इंतजाम रखने के निर्देश दिए
सरकारी अस्पतालों में इन्फ्लुएंजा के मरीजों के इलाज के पर्याप्त इंतजाम रखने के निर्देश दिए गए हैं. सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश आदि लक्षण वाले मरीजों को घर में ही आइसोलेशन में रहने को कहा गया है. सीने में दर्द, सांस फूलने, रक्तचाप का कम होना, कफ में खून आने, नाखूनों के नीले पड़ने की स्थिति में तत्काल जांच कराने और अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी गई है.
कानपुर में 600 मरीज
हांगकांग इन्फ्लूएंजा ने कानपुर में हाहाकार मचा दिया. 24 घंटे में रिकॉर्ड 600 मरीज चपेट में आए. गंगा मेला के दूसरे दिन हैलट और उर्सला की ओपीडी में मरीजों का तांता लग गया. ज्यादातर मरीज खांसी से परेशान रहे.
बलरामपुर डॉक्टर के गायब होने पर मरीजों का हंगामा
बलरामपुर अस्पताल में रैबीज का इंजेक्शन लगाने वाले कमरे में तैनात डॉक्टर के काफी देर तक गायब होने से नाराज मरीज और तीमारदारों ने हंगामा किया. कई मरीज बिना इंजेक्शन लगवाए ही लौट गए. यहां रोजाना डेढ़ सौ से ज्यादा मरीज रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते हैं. डॉक्टर के पर्चे पर लिखने के बाद ही मरीजों को इंजेक्शन लगाए जाते हैं.
● मौसम में बदलाव के बीच लोगों को खांसी व बुखार की समस्या
● अस्पताल की ओपीडी के बाहर तक लगी रहीं कतारें
बच्चों को सिर्फ सीरप दें
डॉ. पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि बच्चों को कफ सीरप ही दें. दो साल तक के बच्चों पर घरेलु नुस्खे न अजमाएं. बड़े बच्चों को हल्दी वाला दूध, सौंफ व मिश्री खिला सकते हैं. जिनके घर में नवजात बच्चे हैं उनके सदस्यों को इनफ्लूएंजा की वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए.
लखनऊ न्यूज़ डेस्क