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Lucknow  1957 के चुनाव में भारी पड़े मजदूर, कांग्रेस को दोनों सीटें हराईं

Nainital कांग्रेस इंतहा हो गई अब इंतजार की

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद 1957 में मजदूर यूनियनों का वर्चस्व बढ़ गया. परिणाम स्वरूप सरकार के खिलाफ मुखर मजदूर नेताओं में कानपुर सीट से एसएम बनर्जी और बिल्हौर से जगदीश अवस्थी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत गए. दोनों सीटें कांग्रेस हार गई. पहले चुनाव के बाद 1957 के चुनाव में परिसीमन बदल गया. फर्रुखाबाद और इटावा को कानपुर से अलग कर दिया गया. तब तीन सांसद चुने जाते थे. इसे दो सीटों कानपुर और बिल्हौर में बदल दिया गया.

उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर को मजदूरों की धरती भी कहा जाता है. तब यहां चिमनियां धुआं उगलती थीं. शहर में कई मजदूर नेता थे, जो इनके अधिकारों के लिए लड़ रहे थे. इनकी लड़ाई सरकार से थी. ऐसे में मजदूर वर्ग उन नेताओं के साथ थे, जो सरकार से मोर्चा लेकर उनके हित की बात कर सके.

कानपुर और बिल्हौर बनीं लोकसभा सीटें 1951-52 के चुनाव में  - कानपुर डिस्ट्रिक्ट नॉर्थ कम फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक्ट साउथ, 30- कानपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल और 31-कानपुर डिस्ट्रिक्ट साउथ कम इटावा डिस्ट्रिक्ट सीटें थीं. 1957 में जब परिसीमन हुआ तो कानपुर और बिल्हौर के नाम से सीटें बन गईं. बिल्हौर सीट पर सिर्फ तीन प्रत्याशियों और कानपुर में छह प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा.

शम्सी मिनाई ने भी आजमाई किस्मत

शायरों में रहे शहर के शम्सी मिनाई भी चुनाव लड़े थे. कानपुर सीट पर उन्हें 6072 वोट मिले थे. वह तब अपने कलाम ‘मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ...वह राम जिसका नाम है जादू लिए हुए...लीला है जिसकी ओम की खुशबू लिए हुए’ के लिए पहचान रखते थे.

33 - बिल्हौर

प्रत्याशी पार्टी मत प्रतिशत

● जगदीश अवस्थी निर्दलीय 86408 45.43 (विजेता)

● वेंकटेश नारायण तिवारी कांग्रेस 853 43.14

● लक्ष्मी नारायण पीएसपी 218 11.42

● कुल मतदाता 419831

● वोट पड़े 190189

● मतदान प्रतिशत 45.30

● वैध मत 190189

34 - कानपुर

प्रत्याशी पार्टी मत प्रतिशत

● एसएम बनर्जी निर्दलीय 87612 49.49 (विजेता)

● सूर्य प्रसाद अवस्थी कांग्रेस 70988 40.10

● किशोरी दास बाजपेई बीजेएस 8660 4.89

● शम्सी मिनाई निर्दलीय 6072 3.43

● प्रेमनाथ निर्दलीय 2161 1.22

● वासुदेव निर्दलीय 15 0.86

1957 के चुनाव में शहर के मजदूरों की आवाज प्रभावी हो गई. कांग्रेस ने मजदूर नेताओं पर भरोसा जताया था पर सत्ता विरोधियों को मजदूरों ने महत्व दिया. जो मजदूर नेता निर्दलीय लड़े वह जीत गए. -प्रताप साहनी, वरिष्ठ मजदूर नेता

● कुल मतदाता 418638

● वोट पड़े 177016

● मतदान प्रतिशत 42.28

● वैध मत 177016

तब थे चार राष्ट्रीय और 11 अन्य राजनीतिक दल

राष्ट्रीय दलों में ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, इंडियन नेशनल कांग्रेस और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी. 11 अन्य दल थे. जनता, फॉर्वर्ड ब्लॉक (मार्क्सिस्ट), गणतंत्र परिषद, अखिल भारतीय हिंदू महासभा, झारखंड पार्टी, पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, प्रजा पार्टी, पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी, अखिल भारतीय रामराज्य परिषद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन.

 

 

लखनऊ न्यूज़ डेस्क

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