उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क यदि आपको वायरल फीवर है. बदन में दर्द है. खांसी आ रही या किसी प्रकार की शारीरिक समस्या है तो स्वयं से या मेडिकल स्टोर वाले से पूछकर दवा खाना बेहद खतरनाक हो सकता है. हमेशा डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवा खाना चाहिए. ऐसा न करने से खून की गंभीर बीमारी एप्लास्टिक एनीमिया होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है. यह जानकारी केजीएमयू हेमेटोलॉजी विभाग के डॉ. एसपी वर्मा ने दी.
केजीएमयू और हेमेटोलॉजी फाउंडेशन उप्र. की ओर से होटल क्लार्क अवध में पांचवें युवा हेमेटोलॉजिस्ट ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ. केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य युवा छात्रों को हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के कुछ ज्वलंत और कठिन क्षेत्रों को हेमेटोलॉजी के कानूनी पहलुओं को जानने और ब्लड कैंसर के परिवारीजनों को परामर्श देने के तरीके की कला को विकसित करना है. इस दो दिवसीय ओरिएंटेशन में देश भर से आए 16 विशेषज्ञ, 60 प्रतिभागी शामिल रहे.
गुड़गांव से आए डॉ. राहुल भार्गव ने कहा कि एप्लास्टिक एनीमिया में शरीर में नई रक्त कोशिकाएं बननी कम होने लगती हैं. साथ ही वह संक्रमण और चोट लगने पर खून बहने की समस्या हो सकती है. भारत समेत अन्य अल्प विकसित देशों में यह बीमारी ज्यादा है. ऐसे देशों में बिना डॉक्टर की सलाह के दवा खाने वाले लोगों में बीमारी पाई गई. भारत व अल्प विकसित देशों में एक लाख में करीब 10 मरीज और विकसित देशों में करीब दो मरीज पाए जाते हैं.
कोलकाता टाटा मेडिकल सेंटर के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. मामेन चाण्डी ने कहा कि हमें यूरोपीय देशों के शोध व डाटा पर ही नहीं निर्भर रहना होगा. हमें खुद अपने शोध करने होंगे. दिल्ली एम्स के डॉ. मुकुल अग्रवाल ने कहा कि रेफरल सिस्टम में सुधार की बहुत जरूरत है.
एआई तकनीक के इस्तेमाल पर जोर
कोलकाता के डॉ. प्रांतर चक्रवर्ती ने मेडिकल सुविधाओं की कमी, मरीजों की संख्या की अधिकता से एआई जैसी सुविधाओं के इस्तेमाल पर जोर दिया. मुंबई आईआईटी के प्रो. राहुल पुरवार ने ब्लड कैंसर के लिए भारत में विकसित सीएआरटी सेल थेरेपी के बारे में बताया. इसके अलावा एसजीपीजीआई हेमेटोलॉजी से डॉ. संजीव, मेदांता से डॉ. अंशुल गुप्ता आदि ने मरीजों के बेहतर इलाज के प्रति जागरूक किया.
लखनऊ न्यूज़ डेस्क