उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क केंद्रीय शहरी आवासन एवं कार्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा ने कहा है कि संघर्षरत छोटे निकायों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए अलग से विकास का मॉडल तैयार किया जाना चाहिए. उन पर कोई भी चीज नहीं थोपनी चाहिए, जिससे उनके लिए वह भार साबित हो जाए. विकास के लिए कोई तकनीक चुनने से पहले स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिससे योजनाएं समय से पूरी हो सकें.
संयुक्त सचिव ने स्थानीय निकाय निदेशालय में आयोजित दो दिवसीय विश्व शौचालय दिवस कार्यशाला के समापन के अवसर पर ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि मानकीकरण, डीपीआर और कुछ चीजों को स्थिर करने के मामले में स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. कुछ चीजों को स्थानीय निकायों पर नहीं छोड़ना चाहिए जो क्षमता के साथ संघर्ष करते हैं. उन्होंने विश्व शौचालय दिवस पर शुरू हुए पांच सप्ताह के ‘स्वच्छ शौचालय’ अभियान में पूरी निष्ठा से काम करते हुए व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने की बात कही. उन्होंने बताया कि हमारे पास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निधियों का एक कोष है. जिससे शहरी बुनियादी विकास के लिए फंड लिया जा सकता है. पहले इसके लिए चार किस्तें थीं. अब हम वास्तविक खपत या उपयोग और वृद्धि के हिसाब से अगली किस्त जारी करते हैं. स्थानीय निकाय निदेशक अनुज कुमार झा ने केंद्रीय संयुक्त सचिव का निदेशक महुआ अनीता मीणा को सम्मानित किया. डा. वीके चौरसिया ने कहा कि डीपीआर बनाने में जरूरतों के अध्ययन करना चाहिए. इससे विकास योजनाएं सुनियोजित तरीके से पूरी हो सकती हैं.
शोधित जल समय की जरूरत
कार्यशाला के दौरान शहरों में इस्तेमाल जल को शोधित करने पर भी चर्चा हुई. उप सलाहकार सीपीएचईईओ ने रोहित कक्कड़ ने बताया कि राज्यों को इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर काम करना चाहिए, जिससे जल दोहन कम हो और शोधित जल का इस्तेमाल हो. सुजाता श्रीकुमार वित्त सलाहकार यूएसऐड वाशफिन ने बताया कि गुजरात में इस पर तेजी से काम शुरू हुआ है.
लखनऊ न्यूज़ डेस्क