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Lucknow  सरोजनीनगर में 102 बीघा तालाब की जमीन बेच डाली, भूमाफिया कर रहे जमीन की रजिस्ट्री,राजस्व टीम ने रिपोर्ट दी

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उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  एसडीएम ने रोक लगाई. डीएम ने जांच कराई. तहसीलदार ने कहा,सरकारी तालाब की जमीन. इन सबके बावजूद बेधड़क बैनामे पर बैनामे होते जा रहे हैं. गांव के तालाब की जमीन में अब कहीं एक इंच पानी नहीं बचा. मामला सरोजनीनगर तहसील का है.

एयरपोर्ट और कानपुर हाईवे के पास होने की वजह से सरोजनीनगर में भू माफिया सक्रिय हैं. यहां के बीवीपुर गांव में 102 बीघा का तालाब है जो सरकारी अभिलेखों में दर्ज है. राजस्व अभिलेखों के अनुसार गाटा संख्या 198-1 से लेकर 198-14 और 718 तालाब की जमीन है. इसे सीएच 41-42 में बतौर तालाब दर्ज किया गया था. तत्कालीन एसडीएम सरोजनीनगर सिद्धार्थ ने ग्रामीणों की शिकायत पर  मार्च 20 में इस तालाब की जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी थी. बावजूद इसके बिक्री होती रही. वहीं, 29 जनवरी को एसडीएम सरोजनीनगर की ओर से किए आदेश में जमीन को तहसीलदार की संस्तुति पर राज्य सरकार में समाहित करने का आदेश जारी किया गया. ग्रामीणों के अनुसार इसके बावजूद भी जमीन बेचने वालों पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

ग्रामीणों के अनुसार अब तक तालाब की जमीन के 15 से अधिक बैनामे हो चुके हैं. बीवीपुर के निवासी बृजेश सिंह ने बताया कि उन्होंने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई लेकिन उसमें कार्रवाई की बात कही गई.

30 लाख से अधिक मूल्य वाली रजिस्ट्रियों पर प्रशासन की नजर

लखनऊ. कम कीमत में सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त कर सर्किल रेट पर बैनामा कराने के मामला सामने आया. आयकर की चिट्ठी मिलने के बाद प्रमुख सचिव स्टाम्प ने लखनऊ में 30 लाख से अधिक कीमत वाले बैनामों की जांच के निर्देश दिए हैं.

जांच के लिए एआईजी स्टाम्प प्रथम को जिम्मेदारी सौंपी गई है. स्टाम्प विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले चार वर्षों के आंकड़ों की जांच हो रही है. इसके लिए विभाग की एक विशेष टीम बनाई गई है. वहीं, अधिकारियों के अनुसार इस मामले में आंकड़े दर्ज करने में लापरवाही हुई है. फिलहाल सुनियोजित तरीके से जानबूझकर कीमत कम बताने के साक्ष्य सामने नहीं आए हैं. आयकर विभाग ने करीब सवा सौ फाइलें चिह्नित कर स्टाम्प एवं निबंधन विभाग से ब्योरा मांगा है. इनमें अधिसंख्य फाइलें सरोजनीनगर तहसील की हैं. एयरपोर्ट और कानपुर रोड के नजदीक होने की वजह से लखनऊ में अन्य निबंधन दफ्तरों के मुकाबले यहां अधिक सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त हो रही है. आयकर विभाग का कहना है कि बड़ी सम्पत्तियों का सर्किल रेट पर बैनामा किया गया. वास्तविक खरीद फरोख्त कम कीमत पर की गई. इस तरह के बैनामे आयकर के सॉफ्टवेयर से पकड़ में नहीं आते.

गांव में थे कभी 13 तालाब, अब एक भी नहीं

दो वर्ष पहले प्रत्येक गांव में अमृत सरोवर बनाए गए लेकिन बीवीपुर सूना रह गया. यहां के लोगों के अनुसार कभी इस गांव में पानी की कमी नहीं थी. कुल 13 तालाब थे जिन पर धीरे धीरे कब्जा होता गया. मौजूदा समय इस आखिरी तालाब पर भी कब्जा हो गया. एसडीएम के आदेश भी हैं लेकिन मामला अब ठंडे बस्ते में है.

 

 

लखनऊ न्यूज़ डेस्क

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