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Lucknow   साल में बढ़ीं स्वास्थ्य सुविधाएं, इलाज मिलना अभी भी चुनौती

किडनी मरीजों के डायलिसिस के लिए सदर अस्पताल में पीपीई मोड पर 5 बेड का अत्याधुनिक नेफ्रोप्लस डायलिसिस सेंटर पिछले 1 जुलाई से संचालित है। अत्याधुनिक रूप से बने इस डायलिसिस सेंटर में पीपीएच राशनकार्ड धारियों का डायलिसिस नि:शुल्क किए जाने का प्रावधान है। पीपीएच राशनकार्ड से वंचित लाेगों के लिए 1720 रुपया डायलिसिस शुल्क निर्धारित है। परंतु जागरूकता और प्रचार-प्रसार के अभाव में डायलिसिस कराने बहुत कम मात्रा में मरीज पहुंच रहे हैं। तीन माह में महज 13 लोग ही अब तक यहां डायलिसिस कराए हैं। उसमें 9 पीपीएच राशनकार्ड पर तथा 4 लोग निर्धारित शुल्क जमा कर डायलिसिस कराए हैं। जबकि जिला में 100 से अधिक किडनी के मरीज हैं, जिनको डायलिसिस की आवश्यकता है। ऐसे मरीज जानकारी के अभाव में भागलपुर या पटना जाकर 3 से 4 हजार रुपया खर्च कर डायलिसिस कराते हैं। स्थिति यह है कि पीपीई मोड पर संचालित डायलिसिस सेंटर में कार्यरत 06 कर्मियों का मानदेय, जेनरेटर खर्च, बिजली बिल के अलावा डायलिसिस प्रोसेस में लगने वाले मेडिकल आईटम पर प्रतिमाह लगभग 01 लाख रुपया खर्च नेफ्रोप्लस कंपनी को आ रहा है। जबकि आय 75 हजार रुपया प्रति माह हो रहा है। तीन माह में 13 मरीज डायलिसिस कराए हैं, जिसमे कार्डधारी 9 तथा बिना कार्डधारी 4 मरीज शामिल हैं। कार्डधारी मरीजों के प्रति डायलिसिस 1720 रुपए के हिसाब से राशि कंपनी को सरकार देती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर ताे खोल दिया गया परंतु जानकारी तथा प्रचार प्रसार के अभाव में मरीज यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। इधर प्रसिद्ध फिजिशियन डा. के.रंजन बताते हैं कि नाबालिग, बालिग या वृद्ध किसी को भी किडनी की बीमारी हो सकती है। अस्पताल पहुंचने वाले ऐसे मरीज को डायलिसिस के लिए प्रेसक्राइव किया जाता है।  डायलिसिस कराने वाले सभी मरीज को फ्री में दिया जाता है इंजेक्शन सदर अस्पताल स्थित नेफ्रोप्लस डायलिसिस सेंटर में डायलिसिस कराने पहुंचने वाले प्रत्येक मरीज को फ्री में आयरन का इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा मरीज के शरीर में तेजी से ब्लड बनने के लिए इरैथ्रोप्रोटीन इंजेक्शन भी मुफ्त में मुहैया कराया जाता है। जबकि बाजार में इरैथ्रोप्रोटीन इंजेक्शन की कीमत कम से कम 800 रुपया है।  4 बेड निगेटिव एक बेड पॉजिटिव के लिए रिजर्व डायलिसिस वार्ड में 1 बेड हेपेटाइटिस सी या बी से ग्रसित मरीजों के लिए रिजर्व रखा गया है। जबकि 4 बेड निगेटिव मरीजों के लिए है। मरीजों के मनोरंजन के लिए डायलिसिस वार्ड में एलईडी टीवी लगाया गया है। 4 घंटा मरीजों का डायलिसिस के बाद आधा घंटा ऑबर्जेशन में रख कर साढ़े चार घंटा बाद मरीज को घर भेज दिया जाता है।  कम से कम शरीर में होना चाहिए 7 ग्राम हीमोग्लोबिन डायलिसिस कराने पहुंचे मरीज के शरीर में कम से कम 07 ग्राम हिमोग्लोबिन रहना चाहिए, तभी मरीज का डायलिसिस हो सकेगा। 07 ग्राम हिमोग्लोबिन से कम वाले मरीज को शरीर में हिमोग्लोबिन बढ़ा कर डायलिसिस के लिए आने की सलाह वहां मौजूद तकनीशियन या चिकित्सक के द्वारा दी जाती है। किडनी के सीकेडी-5 स्टेज के मरीज को सप्ताह में दो बार डायलिसिस किया जाता है। बता दें कि डायलिसिस के दौरान शरीर के ब्लड को प्यूरीफाइ किया जाता है। विभागीय स्तर पर किया जा रहा है प्रचार प्रसार किडनी बीमारी से ग्रसित मरीज डायलिसिस के लिए सदर अस्पताल पहुंचे, इसके लिए विभागीय स्तर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। पीपीई मोड पर डायलिसिस सेंटर चलाने वाली एजेंसी को भी अपने स्तर से प्रचार प्रसार किए जाने की जरूरत है, ताकि मरीज डायलिसिस सेंटर तक पहुंच सकें। डा-हरेन्द्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन, मुंगेर।

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  बड़े अस्पतालों से मरीजों का दबाव कम करने के लिए गली-मोहल्लों में छोटे अस्पताल खोले गए. ताकि ओपीडी मरीजों का दबाव कम हो.  साल के लिए 55 हेल्थ पोस्ट सेंटर खुले. 77 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर शुरू हुए. इनमें मरीजों को मुफ्त इलाज, जांच व दवाएं दी जा रही है. इसके बावजूद सर्दी, जुकाम, बुखार व टीककारण आदि के लिए बड़े सेंटर की तरफ रुख कर रहे हैं.

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि आबादी के लिहाज से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की संख्या बढ़ाई जा रही है. दवा से लेकर जांच की व्यवस्था पुख्ता है. सभी सेंटरों में एमबीबीएस डॉक्टर मरीज को सलाह दे रहे हैं. मुफ्त टीकाकरण की सुविधा भी बढ़ी है. सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी बेहतर बनाया.

केजीएमयू

कैंसर के फैलाव का पता लगाने के लिए पेट स्कैन जांच शुरू की गई. सिकाई के लिए रेडियोथेरेपी मशीन लगाई गई. तीन सीटी स्कैन मशीन खरीदी गई. ताकि ओपीडी व शताब्दी में मरीजों की आसानी से जांच हो सके. कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि लारी के नए भवन में ओपीडी शुरू करा दी गई है. जल्द ही 94 बेड के वार्ड में दिल के मरीजों की भर्ती चालू होगी.

लोहिया संस्थान

40 बेड का आईसीयू वार्ड शुरू किया गया है. इसमें इमरजेंसी के गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. एमबीबीएस की सीटें 150 से बढ़कर 200 हो गई है. डॉक्टर व कर्मचारियों की कमी दूर हुई. नियमित पदों पर पैरामेडिकल स्टाफ व संविदा कर्मचारियों की भर्ती हुई. डायलिसिस बेड बढ़ाए गए. निदेशक डॉ. सीएम सिंह का कहना है जल्द ही न्यूरो साइंस सेंटर शुरू होगा.

 

 

लखनऊ न्यूज़ डेस्क

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