बिहार न्यूज़ डेस्क जिला मुख्यालय स्थित गोपालगंज शहर में खुले में मांस मछली बेचने वाले दुकानदारों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. इसके लिए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने सभी सफाई जमादारों को निर्देश जारी किया है.
जिसमें जमादारों को अपने अपने क्षेत्र में मांस मछली की दुकानों पर नजर रखने का निर्देश दिया है. साथ ही खुले में मांस मछली बेचने वाले दुकानदरों की दुकान जब्त कर कार्रवाई की तस्वीर नप कार्यालय में भेजने का निर्देश दिया है. नगर परिषद की ओर से मालूम हो कि प्रतिबंध के बावजूद शहर सहित आसपास के इलाकों में खुले में मांस-मछली की बिक्री हो रही है. जिससे आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है. कपड़ा से ढके बिना और सड़क पर कारोबार करने को लेकर जुर्माना और कार्रवाई का प्रावधान है. बीते जुलाई माह में ही डीएम ने पशु क्रूरता अधिनियम को लेकर हुई खुले में मांस मछली की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था. बता दें कि खुले में मांस मछली नहीं बेचने और जानवर नहीं काटने के लिए नगर परिषद पहली बार 2018 में अभियान चलाया था. उसके बाद खुले में बिक रहा मांस-मछली की दुकानों की जांच करने के लिए 2019 में दो दिन, 2020 में चार दिन और 2023 में पांच दिन अभियान चला. 30 से अधिक दुकानदारों के सामान जब्त किए गए. 2023 में सात दुकानदारों पर खुले में मांस बेचने के जुर्म में नगर परिषद की ओर से पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना भी वसूला गया. बावजूद मांस-मछली विक्रेताओं की मनमानी जारी है.
खुले में मांस-मछली की बिक्री नहीं की जानी है. इस पर नजर रखने के लिए सभी सफाई जमादारों को निर्देश दिया गया कि नियम नहीं मानने वाले दुकानदारों की दुकान जब्त करें और जुर्माना भी वसूलें.खुले में मांस-मछली की बिक्री नहीं की जानी है. नियम नहीं मानने वाले दुकानदारों की दुकान जब्त करें और जुर्माना भी वसूलें.
-राहुलधर दुबे, इओ, नप, गोपालगंज.
चिकित्सक डॉ. प्रवीण तिवारी ने बताया कि खुले में जानवरों के कटने से गंदगी तो फैलती ही है. संक्रमण का भी डर रहता है. खुले में मांस का टुकड़ा रहने पर मक्खियां पहुंचती हैं, जो संक्रमण की बहुत बड़ी कारण हैं. यहां बकरे के स्वास्थ्य की जांच करने के नियम का पालन नहीं होता है. इतना ही नहीं दुकानों के सामने टाट आदि लगाने की व्यवस्था दुकानदारों द्वारा नहीं की जाती है. मांस का टुकड़ा भी खुले में नहीं होना चाहिए, वह कपड़े आदि से ढंका होना चाहिए. औजारों को विसंक्रमित करने के बाद ही जानवरों काटा जाना चाहिए, ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न हो.
कटिहार न्यूज़ डेस्क