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Katihar जेपी के इंतजार में रातभर रैली में जमी रही थी भीड़

Churu  भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर आक्रोश रैली निकाली गई

बिहार न्यूज़ डेस्क आजाद भारत में पहली बार चुनाव अक्तूबर, 1951 से फरवरी, 1952 के बीच हुए थे. तब, लोकसभा के साथ विधानसभा के लिए भी वोट पड़े थे. बिहार के शाहाबाद (अब का आरा) लोकसभा क्षेत्र के शाहपुर से पूर्व मंत्री और समाजवादी नेता रामानंद तिवारी, सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी थे. उनके पक्ष में प्रचार के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की सभा शाहपुर में होनी थी. सभा के लिए शाम चार बजे का समय तय था. चुनावी व्यस्तता के कारण जेपी सभा स्थल पर अगले दिन सुबह चार बजे पहुंचे. वह ठंड का मौसम था. शाम से सुबह तक लोगों की भारी भीड़ सभा स्थल पर जेपी के इंतजार में बैठी रही.

इस वाकये को याद करते हुए पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने बताया कि जेपी कहां हैं और कब तक पहुंच पाएंगे, यह जानकारी सभा स्थल पर किसी को नहीं मिल पा रही थी. उन्हें देखने और सुनने के इंतजार में बैठे लोगों ने रात में लकड़ी जलाकर ठंड से राहत पाई, लेकिन कोई भी व्यक्ति घर नहीं गया. उस समय जेपी के प्रति लोगों के मन में इतना आकर्षण था कि लोग दूर-दूर से पैदल या साइकिल से ही जेपी को सुनने आए हुए थे. जब जेपी सुबह चार बजे सभा स्थल पर पहुंचे तो लोगों ने बड़े उत्साह से उनका स्वागत किया. इसके बाद जेपी का भाषण हुआ. फिर, लोग अपने घर के लिए गए.

शिवानंद तिवारी बताते हैं कि जेपी की सभाओं में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सभा जैसी भीड़ हुआ करती थी. उनकी कुछ सभाएं तो नेहरू की सभा से भी बड़ी हुआ करती थीं.

भोंपू से होता था प्रचार

शिवानंद तिवारी तब के चुनाव की याद करते हुए बताते हैं कि टीन के भोंपू से प्रचार हुआ करता था. नेताओं का भाषण भी भोंपू से होता था, तब माइक की उपलब्धता नहीं हो पाती थी. उम्मीदवार भी साइकिल से प्रचार किया करते थे. आगे-आगे उम्मीदवार और पीछे कार्यकर्ता और समर्थक चला करते थे.

 

कटिहार न्यूज़ डेस्क

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