Samachar Nama
×

Katihar क्षमता से ज्यादा सवारी बिठाकर बेरोकटोक चल रहीं नदी में नावें

कामरूप  : असम: गैर सरकारी संगठनों ने लखीमपुर, माजुली में बाढ़ प्रभावित गांवों में देशी नावें वितरित कीं

बिहार न्यूज़ डेस्क गंगा, महानंदा, कोसी में क्षमता से अधिक बिठाकर नदियों में बेरोकटोक नाव चल रहा है. बीते दिनों कुरसेला में हुए नाव हादसे के बाद भी इस पर रोक नहीं लग पाया है. नतीजा गंगा, कोसी में बेरोकटोक नाव का परिचालन हो रहा है. हालांकि प्रशासन की ओर से नाव परिचालन को लेकर लाइसेंस निर्गत की बात कहीं गयी है. मगर इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो पाया है.  कुरसेला, मनिहारी, अमदाबाद, बरारी में क्षमता से अधिक लोगों को बिठाकर नाव का परिचालन किया जा रहा है. साथ ही जिस घाट से नाव का परिचालन पर प्रतिबंध है. जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले भर में नाव का भौतिक सत्यापन चल रहा है.

तीनघरिया व खेरिया घाट से हो रहा नाव का परिचालन कुरसेला प्रखंड में गंगा पार करने के लिए एक सरकारी राजस्व घाट कोदर कट्टा है. लेकिन वर्तमान में तीनघरिया व खेरिया दोनों घाटों से नावों का परिचालन होता है. इसका डाक जिला परिषद के माध्यम से होता है. दोनों घाटों से रोजाना करीब दो दर्जन नावें लोगों और सामानों को लेकर गंगा के इस पार से उस पार जाते है. जिस पर क्षमता से अधिक सामान एवं यात्रियों को बिठाकर रोजाना गंगा के आर-पार किया जाता है. यहां उस पार से आने वाली नावों पर सौ से अधिक बोरा मक्का लोड करने के बाद भी दो दर्जन से अधिक यात्रियों बिठा कर कुरसेला के तीनघरिया और खेरिया घाट लाया जाता है. अंचल कार्यालय के मुताबिक इन घाटों से चलने वाली बड़ी नावों का कोई भी रजिस्ट्रेशन नहीं है.

झारखंड से मनिहारी घाट दर्जनों नाव आती-जाती साहेबगंज जिले (झारखंड) के लालबखानी दियारा से हर दिन दर्जनों नाव आती-जाती है. इसमें स्थानीय लोग अपनी गाड़ियों के साथ आते-जाते है. इसके साथ पशुपालकों का भी जत्था आता-जाता है. नाव यातायात समिति द्वारा सरकारी नियमों को ताक पर रखकर गंगा नदी में मनिहारी से झारखंड के लालबाथानी तक नाव का परिचालन होता है. इसमें कुछेक नाव को छोड़कर किसी के पास भी नाव चलाने का लाइसेंस नहीं है. सीओ निहारिका ने कहा की नाव यातायात समिति के नाविकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया.

 

कटिहार न्यूज़ डेस्क

Share this story