Kanpur किन्हीं दो लोगों की पुतलियों की हलचल एक समान नहीं होती, कानपुर के वैज्ञानिकों की रिसर्च का निष्कर्ष पुतलियों की हलचल बन सकती है यूनीक आईडी

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क किन्ही दो व्यक्तियों की आंखों की पुतलियां ही नहीं उनकी हलचल (मूवमेंट) भी एक जैसी नहीं हो सकती. इस पैटर्न को यूनीक आईडी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. कानपुर के दो वैज्ञानिकों की रिसर्च ने यह साबित किया है. जर्मनी में इसका पेटेंट भी मिल गया है.
यह रिसर्च करने वाले कानपुर निवासी प्रो. अभिषेक बाजपेयी और डॉ. विवेक श्रीवास्तव राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज कन्नौज में कार्यरत हैं. उन्होंने एक डिवाइस विकसित की है, जो पुतलियों की हलचल से व्यक्ति पहचान सुनिश्चित करती है. भारत में इस डिवाइस के पेटेंट की प्रक्रिया अभी चल रही है. प्रो. अभिषेक बाजपेयी ने बताया कि फ्रॉड को रोकने के लिए व्यक्ति की यूनीक आईडी जरूरी है. अभी फिंगर प्रिंट व रेटिना का इस्तेमाल किया जा रहा है, मगर दुनिया में इनके डुप्लीकेट इस्तेमाल कर फ्रॉड की घटनाएं सामने आई हैं. रेटिना का भी दुरुपयोग संभव है. इसे देखते हुए एक ऐसी आईडी बनाने का प्रयास किया, जिसकी नकल संभव न हो. डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि करीब दो साल पहले डाटा एकत्र करना शुरू किया था. एक साल पहले वैज्ञानिकों की टीम ने सर्वे के आधार पर एनालिसिस शुरू किया और एक डिवाइस विकसित की. यह डिवाइस पुतलियों की हलचल के आधार पर व्यक्ति की पहचान करती है. शोध में किन्हीं दो लोगों की पुतलियों की हलचल समान नहीं मिली.
अमेरिका, इंग्लैंड, भारत के लोगों पर हुआ अध्ययन पुतलियों की हलचल के पैटर्न देखने को एक लाख से ज्यादा लोगों पर अध्ययन किया गया. इसमें अमेरिका, इंग्लैंड समेत भारत के 22 राज्यों में रहने वाले लोगों को शामिल किया गया.
रिसर्च में शामिल वैज्ञानिक
● प्रो. अभिषेक बाजपेयी, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, कन्नौज
● डॉ. विवेक श्रीवास्तव, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, कन्नौज
कानपूर न्यूज़ डेस्क