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Kanpur  चबूतरे बने गोदाम, किसान परेशान

परेशान

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  किसानों की सुविधा के लिए अस्तित्व में आईं मंडियां उनके उत्पीड़न और शोषण का स्थल बन गयी हैं. लाखों रुपये किराया अपनी जेब में डालकर उन्होंने मंडी में कृषकों के चबूतरे कारोबारियों को सौंप रखे हैं. यहां उपज की बिक्री के लिए बोली तक नहीं लगायी जाती. इन परिस्थितियों में किसान जमीन पर फसल का ढेर लगा उसको औने पौने दामों में बेचने को विवश है.

मड़ावरा सहित विभिन्न गल्ला मंडियों में फसल की बिक्री के लिए बाकायदा एक नियम बना हुआ है. जिसके तहत मंडी में आयी उपज को चबूतरों पर रखा जाएगा. फिर मंडी कर्मी आकर उसकी नीलामी कराएंगे. मंडी में कारोबारियों के गुर्गे किसानों को बातों में उलझाकर उनकी उपज ट्रैक्टर ट्राली से दुकान के पास सड़क पर गिरवाकर ढेर लगवा लेते हैं. इसके घंटों बाद व्यापारी उपज को बहुत कमतर आंककर किसान को उम्मीद से बहुत कम पैसा देते हैं जबकि उपज बहुत बेहतर रहती है. जमीन पर लगा ढेर दुबारा वाहन में भरना संभव नहीं रहता और किसान कम मूल्य लेकर खून के आंसू रोते हुए घर लौट जाते हैं. कुछ किसान मंडी अफसरों से शिकायत करते हैं लेकिन उनकी एक नहीं सुनी जाती. अफसर व कर्मी डांट फटकार कर उनको चलता कर देते हैं. मंडी की समस्त किसान सुविधाओं पर कारोबारियों ने अवैध कब्जा कर रखा है. इसमें मंडी सचिव की मूक सहमति है. लाखों रुपये किराया लेकर विशालकाय मंडी चबूतरों को विभागीय अफसरों ने किराए पर दे रखा है. जिस कारण गल्ला मंडी के कारोबारियों की हजारों बोरियां इसमें खचाखच भरी रहती हैं. सिर्फ यही नहीं, मंडी की सड़कों पर भी फसलों के ढेर लगाकर कारोबारी कब्जा किए रहते हैं.

 

 

कानपूर न्यूज़ डेस्क

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