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साध्वी चंद्रकला ने कहा, गुस्सा ऐसा मेहमान, जो बिना बुलाए आता है, ढीठ इतना कि वापस जाने का नाम ही नहीं लेता

श्री साधु मार्गी जैन परंपरा के राष्ट्रीय संत आचार्य रमेश के सान्निध्य में कमला नेहरू नगर स्थित समता भवन एवं पावटा बिरोद स्थित राजपूत सभा भवन में पर्युषण महापर्व पर साधु साधुओं के प्रवचन कार्यक्रम हुए.......
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जोधपुर न्यूज़ डेस्क !!! श्री साधु मार्गी जैन परंपरा के राष्ट्रीय संत आचार्य रमेश के सान्निध्य में कमला नेहरू नगर स्थित समता भवन एवं पावटा बिरोद स्थित राजपूत सभा भवन में पर्युषण महापर्व पर साधु साधुओं के प्रवचन कार्यक्रम हुए। समता भवन में पर्युषण पर्व के तीसरे दिन को वंदना दिवस के रूप में मनाते हुए साध्वी चंद्रकला महाराज ने कहा कि हमारे अंदर भरे कूड़े-कचरे के कारण ही हमारे अंदर कसाई की आग जल रही है। जिसके चलते पर्युषण पर्व आया है।

साध्वी ने कहा कि हमारे अंदर क्रोध की अग्नि जल रही है क्योंकि उसमें कूड़ा-कचरा भरा हुआ है। गुस्सा करके हम किसी और को नहीं बल्कि खुद को ही नुकसान पहुंचाते हैं। गुस्सा एक ऐसा मेहमान है. जो बिना बुलाये आ जाता है और इतना ढीठ है कि वापस जाने का नाम नहीं लेता। उन्होंने कहा कि क्रोध हमारा सबसे बड़ा और पहला शत्रु है। यदि हम जीवन में शांति और समाधि चाहते हैं तो सबसे पहले अपने जीवन से क्रोध को दूर करें। गुस्से ने हमारी दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया है. क्रोध रिश्तों को नष्ट कर देता है। तो पहले इसे छोड़ो.

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