राजस्थान उच्च न्यायालय सड़क हादसों में बढ़ती मौतों पर सख्त, सरकार से जवाब तलब
राजस्थान उच्च न्यायालय ने सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों के मामले में सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय की जोधपुर मुख्य पीठ और जयपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार से 6 नवंबर 2025 तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को भी इस मामले में अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय की कार्रवाई और आशय
राजस्थान उच्च न्यायालय ने सड़क हादसों में हो रही मौतों और गंभीर चोटों की संख्या को देखते हुए सुओ मोटो (स्वयं संज्ञान) लिया। अदालत ने माना कि राज्य में सड़क सुरक्षा के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं और दुर्घटनाओं की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।
न्यायालय ने इसके लिए पांच न्यायमित्रों की नियुक्ति भी की है। न्यायमित्रों की जिम्मेदारी है कि वे राज्य के प्रमुख हाईवे, राष्ट्रीय और राज्य सड़क नेटवर्क की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण करें और आवश्यक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश
अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार से पूछा है कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अब तक कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है और जिम्मेदार अधिकारियों को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायालय की यह पहल सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के पालन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इससे राज्य में ट्रैफिक नियम उल्लंघन, वाहन निरीक्षण और सड़क सुरक्षा उपायों पर नजर रखी जा सकेगी।
सड़क हादसों की स्थिति
राजस्थान में सड़क हादसों की दर पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर हो रही दुर्घटनाओं में मौतों और गंभीर चोटों की संख्या चिंताजनक स्तर पर है। दुर्घटनाओं के कारणों में तेज गति, ट्रक और बसों की लापरवाही, शराब पीकर वाहन चलाना और सड़क सुरक्षा अवसंरचना की कमी प्रमुख हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
सड़क सुरक्षा के मामलों में न्यायालय की सक्रियता का समाज में व्यापक समर्थन है। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि न्यायालय का कदम राज्य सरकार और संबंधित विभागों पर दबाव बनाएगा ताकि भविष्य में हादसों की संख्या कम हो।
राजनीतिक हलकों में भी यह मामला चर्चा में है। कई विधायकों और नागरिक समूहों ने सरकार से सड़क सुरक्षा नियमों और वाहन निरीक्षण प्रणाली को सख्त बनाने की अपील की है।

