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जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत बड़ा बदलाव, स्नातक छात्र अब किसी भी संकाय का विषय पढ़ सकेंगे

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत बड़ा बदलाव, स्नातक छात्र अब किसी भी संकाय का विषय पढ़ सकेंगे

राजस्थान के जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत स्नातक स्तर पर बड़ी शैक्षणिक क्रांति की शुरुआत की है। विश्वविद्यालय ने बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रमों में मल्टीडिसिप्लिनरी विकल्प लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।

अब विद्यार्थी अपनी रुचि और करियर लक्ष्य के अनुसार कोई भी विषय किसी भी संकाय से चुनकर पढ़ाई कर सकेंगे। इससे शिक्षा का क्षेत्रीय दायरा टूटेगा और छात्रों को कौशल आधारित, व्यावसायिक और आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

क्या है नया बदलाव?

नए शैक्षणिक ढांचे के तहत स्नातक स्तर (6 सेमेस्टर) के छात्र अब अपनी मुख्य डिग्री के साथ-साथ अन्य संकायों के विषय भी चुन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • बीए का छात्र अब फिजिक्स, केमेस्ट्री या बायोलॉजी जैसे विज्ञान विषय भी पढ़ सकता है।

  • बीकॉम का छात्र मनोविज्ञान या इतिहास जैसे विषयों को भी चुन सकता है।

  • बीएससी के विद्यार्थी अब मैनेजमेंट या समाजशास्त्र जैसे विषयों को भी पढ़ सकते हैं।

इस संरचना को मल्टीडिसिप्लिनरी कोर्स सिस्टम कहा जा रहा है।

नई शिक्षा नीति का प्रभाव

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों को लचीला, समग्र और व्यावहारिक शिक्षा अनुभव देना है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का यह कदम इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है:
"हम छात्रों को संकीर्ण पाठ्यक्रमों में बांधने के बजाय उन्हें बहुआयामी ज्ञान देना चाहते हैं, ताकि वे जॉब मार्केट में ज्यादा सक्षम बन सकें।"

विद्यार्थियों को क्या होगा फायदा?

  • रुचि आधारित विषय चयन से पढ़ाई में आनंद बढ़ेगा

  • विभिन्न क्षेत्रों का ज्ञान मिलने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

  • स्टार्टअप्स, रिसर्च और इंटरडिसिप्लिनरी करियर के लिए बेहतर आधार

  • नई सोच, रचनात्मकता और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

जोधपुर और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक कदम

इस निर्णय से जोधपुर और पूरे राजस्थान के उच्च शिक्षा क्षेत्र में नई दिशा और सोच की शुरुआत हुई है। इससे पहले प्रदेश में छात्रों को केवल एक संकाय के भीतर सीमित विषयों तक ही सीमित रखा जाता था। अब छात्रों के पास देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों की तरह लचीलापन और विकल्प होंगे।

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