जस्टिस गर्ग ने कहा, झुग्गी बस्तियों के परिवारों का सर्वे करवाकर शिक्षा से जोड़ें, बच्चियों को सेल्फ डिफेंस भी सिखाएं
बैठक में जस्टिस गर्ग ने कहा कि दुष्कर्म के मामलों में पुलिस को समय पर चालान पेश करना चाहिए, ताकि मामले की सुनवाई जल्दी पूरी हो सके. स्लम परिवारों का सर्वेक्षण कर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाए तथा उनके आधार कार्ड अथवा अन्य दस्तावेज जो अधूरे हैं उन्हें पूर्ण कराया जाए। लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए उन्हें आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव पुखराज गेहलोत ने दुष्कर्म पीड़िताओं को पीड़ित प्रतिकर राशि का भुगतान करने में आने वाली बैंक खाता संबंधी समस्याओं पर चर्चा की। अतिरिक्त जिला कलक्टर जोधपुर ग्रामीण सीमा कविया ने कहा कि पुलिस विभाग की ओर से दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने पर विस्थापितों के आधार कार्ड बनाने के लिए कच्ची बस्तियों में शिविर लगाए जा सकते हैं।
बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक डाॅ. बीएल सारस्वत ने कहा कि मलिन बस्तियों और भिक्षावृत्ति से जुड़े बच्चों और वयस्कों के दस्तावेज नहीं होने के कारण खाते नहीं खुल पा रहे हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग की संयुक्त निदेशक मनमीत कौर ने बताया कि जिन मामलों में फैसला हो चुका है और दोषियों को सजा हो चुकी है, उनकी जानकारी विभाग तक नहीं पहुंच रही है, जिससे पीड़ित को अंतिम पीड़ित मुआवजा राशि नहीं मिल पा रही है.
उन्होंने संबोधित भी किया बैठक को बाल कल्याण समिति अध्यक्ष विक्रम सरगरा एवं अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त एसआईयूसीएडब्ल्यू पूर्व आयुक्तालय लावूराम ने भी संबोधित किया। संचालन उच्च न्यायालय बाल सचिवालय से कृष्णा वैष्णव ने किया। इस अवसर पर मनीषा चौधरी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जोधपुर, रेखा शेखावत अधीक्षक राजकीय महिला निकेतन, राम नारायण बिश्नोई अधीक्षक किशोर एवं सुधार गृह, रक्षिता कविराज अधीक्षक राजकीय बालिका गृह एवं त्रिदेव वैष्णव जिला समन्वयक बाल कल्याण सभी पुलिस थानों के पुलिस अधिकारी, महिला डेस्क महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र के प्रभारी एवं परामर्शदाता उपस्थित थे।