झुंझुनूं रोडवेज डिपो के मुख्य प्रबंधक समेत 24 कर्मचारी सस्पेंड, वीडियो में जानें 16 एम्प्लॉई 3 साल से बिना ऑफिस आए उठा रहे थे सैलरी

राजस्थान रोडवेज विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। झुंझुनूं डिपो में वर्षों से चली आ रही अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए विभाग ने मुख्य प्रबंधक समेत 24 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 16 कर्मचारी ऐसे हैं जो पिछले तीन सालों से सिर्फ 'कागजों में' काम कर रहे थे। ये कर्मचारी ऑफिस आए बिना, फर्जी उपस्थिति दर्ज कर वेतन उठा रहे थे।
जानकारी के अनुसार, विभागीय जांच के दौरान सामने आया कि ये 16 कर्मचारी रोजाना उपस्थिति रजिस्टर में अपनी अटेंडेंस दर्ज कराते रहे, लेकिन हकीकत में न तो वे कार्यालय आते थे और न ही किसी भी प्रकार का कार्य कर रहे थे। बाकी के 8 कर्मचारियों पर भी प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत का आरोप है, जिनमें झुंझुनूं डिपो के मुख्य प्रबंधक की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
रोडवेज प्रशासन ने प्रारंभिक जांच के बाद सभी 24 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। विभाग की ओर से यह भी संकेत दिया गया है कि इस मामले में आर्थिक अनियमितताओं की पुष्टि होने पर वसूली की कार्रवाई की जा सकती है।
'घोटालेबाजों के लिए कोई जगह नहीं': रोडवेज प्रशासन
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने साफ किया है कि ऐसी अनियमितताओं को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रोडवेज प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह पूरी तरह से कर्मचारी आचरण नियमों का उल्लंघन है। ऐसे घोटालेबाज कर्मचारियों के लिए विभाग में कोई जगह नहीं है। जांच रिपोर्ट के आधार पर अब क्रिमिनल कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है।”
बिना काम वेतन उठाना बना सिस्टम का हिस्सा
झुंझुनूं डिपो का यह मामला यह भी दर्शाता है कि किस तरह वर्षों से सिस्टम के भीतर बैठे कुछ लोग वेतन और सुविधाएं तो लेते रहे, लेकिन जिम्मेदारी निभाने के नाम पर कुछ नहीं किया। माना जा रहा है कि यह पूरा फर्जीवाड़ा एक संगठित नेटवर्क के माध्यम से चल रहा था, जिसमें कुछ उच्चाधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है।
जनता और कर्मचारियों में नाराजगी
इस घटना के उजागर होने के बाद ईमानदारी से काम करने वाले रोडवेज कर्मचारियों में भी नाराजगी है। उनका कहना है कि कुछ कर्मचारियों की वजह से पूरे विभाग की छवि खराब होती है। वहीं आम जनता भी सवाल उठा रही है कि जब कर्मचारियों की कमी के कारण बस सेवाएं प्रभावित होती हैं, तो ऐसे फर्जी कर्मचारी कैसे वर्षों तक सिस्टम में बने रहे।
फिलहाल विभाग की ओर से मामले की विस्तृत जांच की जा रही है और अन्य डिपो में भी इसी तरह की जांच शुरू किए जाने की संभावना है। झुंझुनूं डिपो का यह मामला रोडवेज में अनुशासन और पारदर्शिता की नई बहस को जन्म दे गया है।