
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क बार-बार हिदायत दिए जाने के बावजूद विकास कार्यों के प्रति लापरवाह ग्राम पंचायत अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गयी. पंचम वित्त व पंद्रहवां वित्त आयोग के तहत मिली धनराशि का 85 प्रतिशत व्यय नहीं करने पर तेरह ग्राम पंचायत अधिकारियों की वार्षिक वेतनवृद्धि रोक दी गई. डीपीआरओ की इस कार्रवाई से विभाग में खलबली मच गयी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास कार्यों की मानीेटरिंग का एक सिस्टम ‘सीएम डैश बोर्ड’ बना रखा है. जिसमें प्रत्येक विभाग को हर माह कराए गए कार्यों का विवरण अपलोड करना होता है. इसमें जारी बजट और खर्च धनराशि आदि का उल्लेख किया जाता है. इसके आधार पर शासन जनपद की रैंकिंग निर्धारित करता है. पिछले कुछ माहों से जनपद की रैंकिंग निचले पायदान पर पहुंच गयी है. जिसको सुधारने के लिए मुख्य विकास अधिकारी केके पांडेय ने खराब प्रगति वाले विभागीय अफसरों को बुलाकर योजनाओं की स्थिति सुधारने के निर्देश दिए थे.
इस क्रम में ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की गति तेज करके पंचम वित्त व पंद्रहवां वित्त आयोग से मिली धनराशि का 85 प्रतिशत हिस्सा व्यय करने के निर्देश दिए गए थे.
बावजूद इसके ग्राम पंचायत अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. वह अपनी पुराने ढर्रे पर काम करते रहे. जिसकी वजह से जनपद की प्रगति में कोई सुधार नहीं हो सका. इस पर सीडीओ ने कड़ी नाराजगी जताते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जिला पंचायत राज अधिकारी नवीन कुमार मिश्र को दिए. इस क्रम में डीपीआरओ ने विकास खण्ड बार में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी कमलेश रिछारिया, विकास खण्ड तालबेहट में कार्यरत ग्रापंअ रामेश्वरी शुक्ला, आलोक वर्मा, राघवेंद्र कुमार, विकास खण्ड मड़ावरा में ग्रापंअ रवींद्र कुमार, विकास खण्ड जखौरा में तैनात ग्रापंअ दीपक कुमार, उमाशंकर, वीरेंद्र, रामदास सुमन, आशीष कुमार, नीरज कुमार, ब्लाक महरौनी में कार्यरत ग्रापंअ धीरेंद्र कुमार व विकास खंड बिरधा मं तैनात ग्रापंअ नरेंद्र सिंह की वार्षिक वेतनवृद्धि रोक दी, जिसकी वजह से विभागीय अफसरों व कर्मचारियों में खलबली मची रही. इसके साथ ही सभी जिम्मेदारों को नोटिस जारी करके इन स्थितियों के लिए जवाब तलब भी किया गया है. वहीं डीपीआरओ की इस कार्रवाई से सभी में खलबली है.
झाँसी न्यूज़ डेस्क