उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज अग्निकाण्ड की जांच को गठित शासन की टीम ने जहां शार्ट सर्किट आग लगने की बात कही है वहीं, पूरे मामले में उदासीनता बरतने वालों की भी जिम्मेदारी तय की है. टीम ने बिजली उपकरणों की जांच के अलावा विभागाध्यक्ष के बयान और ड्यूटी स्टॉफ से बात कर पूरी घटना का रीक्रिएशन कराया. जांच रिपोर्ट शासन तक पहुंचने के बाद कार्रवाई तय मानी जा रही है.
अग्निकाण्ड की सुई शार्टसर्किट की तरफ घूमी तो पिछले चार साल की बिजली ऑडिट रिपोर्ट के पन्ने भी खुलने लगे. तमाम खामियों को दुरुस्त के साथ सुझाव को मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा अनदेखा करना भी टीम को अखरा. इसे लेकर विभागाध्यक्ष से पूछताछ की गई. चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह ने माना कि शार्टसर्किट से आग लगी पर शॉटसर्किट हुआ क्यों, किसकी लापरवाही रही? इन सवालों के जवाबों के दस्तावेज साथ लेकर चले गए.
रवाना होने से पहले भी उन्होंने स्पष्ट किया था कि उन्होंने वस्तुस्थिति जानने के लिए मौका मुआयना किया और सभी पहलुओं की गहन जांच की. घटना के दिन ड्यूटी रजिस्टर के अनुसार तैनात कर्मियों से सवाल किए और उनके बयान लिए. विभागाध्यक्ष से लेकर प्रधानाचार्य से भी पूछताछ की गई थी और ऑडिॉ रिपोर्ट को भी संज्ञान लिया है.
अगले दिन बयान के हिसाब से क्रॉस चेकिंग कराते हुए घटनाक्रम का रीक्रिएशन कराया. अब टीम संभावित कारणों व बचाव को लेकर रिपोर्ट तैयार कर शासन को प्रेषित करेगी. हालांकि जांच टीम के जाने के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन में एक बार फिर अंदरूनी तनाव देखा जा रहा है. खुलकर भले ही डॉक्टर व स्टॉफ न बोले, लेकिन कहा यही जा रहा है कि पूरी घटना को लेकर एक-दूसरे के पाले में गेंद उछाली गई है. अब देखना है कि कार्रवाई किसके ऊपर होती है.
झाँसी न्यूज़ डेस्क