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Jhansi  मनरेगा में 7 को ही मिली 100 दिन की मजदूरी

Churu मनरेगा कार्यों का निरीक्षण किया गया तो 31 में से 13 श्रमिक ही मौके पर मिले

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  रोजगार की गारंटी के साथ शुरू हुई मनरेगा योजना की स्थिति बदलती सरकारों के बाद भी नहीं बदल रही है. मजदूरों के बजाए जेसीबी और ट्रैक्टर से हो रहे काम के बीच प्रधान के चहेतों की जेब में भले ही मनरेगा की मजदूरी (337 रुपये रोज) पहुंच जाती हो लेकिन हकीकत की धरातल पर योजना का बुरा हाल है.

जिले में पंजीकृत मनरेगा मजदूरों की संख्या 3 लाख 15 हजार है, जिसमें 1 लाख 87 हजार जॉब कार्ड सक्रिय हैं. इसमें से वर्ष 2023-24 में सिर्फ 12 हजार 734 मजदूरों को सौ दिन का रोजगार मिला है. यानी 7 फीसदी मजदूरों को भी 100 दिन का रोजगार नहीं मिला है. भटहट ब्लॉक 64 ग्राम पंचायतों में 16 हजार 546 जॉब कार्ड पंजीकृत हैं. जबकि 9 हजार 379 जॉब कार्ड सक्रिय हैं. पूरे ब्लॉक में महज 227 मज़दूरों को ही सौ दिनों का रोजगार दिया जा सका है.

जॉब कार्ड धारक सरोज बताती हैं कि कभी काम मिलता है तो कभी कई दिनों तक खाली रहना पड़ता है. पूरे तरकुलही गांव की बेगम पत्नी लालबिहारी बताती है कि ग्राम पंचायत में जब भी कहीं काम के लिए बुलाया जाता है तो वह समय से पहुंच कर मजदूरी कर लेती है. भटहट क्षेत्र चक्खान मोहम्मद ग्राम सभा के प्रधान अजय कुमार निषाद कहते हैं कि 556 मजदूर पंजीकृत हैं, जबकि 325 सक्रिय रूप से कार्य करते हैं. जिसमें लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं कार्यस्थल पर पहुंचती हैं. बीते वित्तीय वर्ष में  से अधिक मजदूरों को सौ दिनों का रोजगार दिया जा चुका है. कभी कभी तो साइड पर मजदूरों की संख्या अधिक होने के कारण कुछ मजदूरों को वापस भी करना पड़ जाता है. अधिकारियों का दावा है कि मनरेगा को परंपरागत कार्यों से अलग अन्य कार्यों से भी जोड़कर रोजगार के अवसर बढ़ाए गए हैं. वर्मी कंपोस्ट पिट, खेल का मैदान, चारागाह, आदर्श तालाबआदि मनरेगा मजदूरों से काम कराकर रोजगार सृजित हो रहा है.

 

 

झाँसी  न्यूज़ डेस्क

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