![इस देश ने बच्चों के सोशल मीडिया चलाने पर कसी नकेल, अब पहले लेनी होगी मम्मी-पापा से परमिशन](https://samacharnama.com/static/c1e/client/79965/uploaded/206b7869f6a598a13d07bba8eaa1a9b3.jpg?width=730&height=480&resizemode=4)
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क अगर कोई बच्चा गोल-मटोल है. उसका चपटा चेहरा, आंखें तिरछी, पलकें छोटी और चौड़ी, नाक चपटी, कान छोटा, इसकी ऊंगलियां छोटी और पैर के तलवे सपाट हैं. साथ ही उसका मानसिक विकास हम उम्र बच्चों से काफी कम है तो सावधान हो जाएं. मुमकिन है कि बच्चा डाउन सिंड्रोम का शिकार हो. कुछ बच्चों में दिल की बीमारी होती है.
जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक आईसीयू के विशेषज्ञ डॉ. अभिनव चंद ने बताया कि यह बीमारी नवजात को मां के गर्भ में ही होती है. हर 800 में एक मासूम इस बीमारी का शिकार है. 35 वर्ष से अधिक आयु के दंपति के 50 में से एक मासूम में यह बीमारी होती है. इस बीमारी के शिकार मासूम हंसमुख, भावुक और शर्मीले स्वभाव के होते हैं. मांसपेशियां ढीली व कमजोर होती हैं. वह गाने की धुन सुनकर अनायास ही थिरकने लगते हैं.
अतिरिक्त क्रोमोसोम से होती है बीमारी महिला अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. अजय शंकर देवकुलियार ने बताया कि सामान्य तौर पर व्यक्ति के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं. इनमं. मां के और पिता के जीन से मिलते हैं. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित नवजात में 47 क्रोमोसोम आ जाते हैं. अतिरिक्त क्रोमोसोम मां की जीन से मिलता है. अतिरिक्त क्रोमोसोम को ट्राइसोमी कहते हैं.
देर से पहचान से बढ़ती है परेशानी बालरोग विशेषज्ञ डॉ. आरके सिंह ने बताया कि डाउन सिंड्रोम की वजह से बच्चे में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं. मानसिक रोग के साथ ही बच्चे को दिल और सांस की बीमारी हो सकती है. समय से इलाज कराएं. दिल की जांच जरूर समय-समय पर कराते रहें.
देर से होगी शादी तो बढ़ेगा खतरा बीआरडी मेडिकल कालेज की स्त्रत्त्ी एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकिता कुमारी ने बताया कि देर से शादी इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह मानी जाती है.
35 साल या उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं के गर्भधारण में संतान में डाउन सिंड्रोम का खतरा होता है. अगर दंपत्ति के पहले बच्चे को डाउन सिंड्रोम है, तो दूसरे बच्चे में भी खतरा बढ़ जाता है.
डाउन सिंड्रोम की पहचान चपटा चेहरा, खासकर नाक चपटी ह्रछोटी गर्दन और छोटे कान, मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ ,मांसपेशियों में कमजोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन ,चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर ,अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव छोटा कद ,आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे.
झाँसी न्यूज़ डेस्क