Samachar Nama
×

Jhansi  क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर बन वसूली करता था पीएसी का बर्खास्त सिपाही

Haridwar बर्खास्त जिपं अध्यक्ष सविता से वसूली न होने पर मांगा जवाब

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  काम दिलाने के बहाने आसपास के जिले से मजदूरों और ठेकेदारों को बुलाकर रुपये वसूलने वाले पीएसी के एक बर्खास्त सिपाही के गैंग को  कैंट पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गाजीपुर निवासी बर्खास्त सिपाही क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर बनकर यह वसूली करता था. किराये के मकान में बंधक बनाकर वसूली की जाती थी. पैसा न होने पर परिवारवालों पर दबाव बनाकर खाते में रकम ट्रांसफर कराई जाती थी. गिरोह ने 15 से ज्यादा लोगों से वसूली की है. अब तक पांच ने केस कराया है.

एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि पीएसी से बर्खास्त सिपाही की पहचान गाजीपुर जिले के करंडा थाना क्षेत्र के परमेठ गांव निवासी लक्ष्मीकांत सिंह उर्फ राणा सिंह उर्फ अजय सिंह पुत्र जगदीश नारायण सिंह के रूप में हुई है. यही गिरोह का मास्टर माइंड है. उसके दो साथी गोरखपुर के ही रहने वाले हैं. उनमें से एक अंगद कुमार पुत्र राम मिलन,आबादी शखनी थाना गुलरिहा तो दूसरा वासुदेव शर्मा पुत्र संजय शर्मा,सटोरा थाना सिकरीगंज के निवासी हैं. ये दोनों उसके लिए शिकार की तलाश करते थे. बर्खास्त सिपाही इससे पहले वाराणसी और संतकबीरनगर में भी इस तरह की वारदातों को अंजाम दे चुका है. दोनों जगहों पर उसके ऊपर केस दर्ज हुआ था, जिसमें जेल भी गया था. जमानत पर छूटने के बाद उसने मई 24 से गोरखपुर जिले में अपना ठिकाना बनाया था. बंधक बनाकर वसूली के लिए उसने कैंट इलाके के रानीडिह में किराये पर मकान लिया था. एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि आरोपितों के पास से आठ मोबाइल फोन और 82,050 रुपये के साथ ही घटना में इस्तेमाल होने वाली कार व अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं. आरोपितों ने कुल 15 लोगों से बंधक बनाकर वसूली करने की बात कबूली है इसमें सात वारदातें उसने गोरखपुर में की हैं. एसएसपी ने बताया कि पांच लोगों ने अब तक उसके खिलाफ केस दर्ज कराया है. अन्य लोग जैसे-जैसे सामने आएंगे, केस दर्ज किया जाएगा. आरोपित के खिलाफ गैंगस्टर की भी कार्रवाई की जाएगी.

वसूली का अस्सी प्रतिशत लेता था बर्खास्त सिपाही : एएसपी/सीओ कैंट अंशिका वर्मा ने बताया कि बर्खास्त सिपाही वसूली का अस्सी प्रतिशत खुद लेता था, बाकी  प्रतिशत दोनों साथियों को बांट देता था. अंगद और वसुदेव काम दिलाने के बहाने शिकार की तलाश करते थे. जरूरतमंदों को शहर के विभिन्न हिस्से जैसे नौकायन, बस स्टेशन आदि जगहों पर बुलाया जाता फिर साइट दिखाने के बहाने कार में बैठाकर रानीडिह स्थित किराये के मकान पर ले जाकर वसूली शुरू होती. उनके पास मौजूद रुपये और मोबाइल लूटने के साथ ही घरवालों से गूगल पे, फोन पे के माध्यम से पैसे विभिन्न खातों में मंगाते थे.

 

 

झाँसी  न्यूज़ डेस्क

Share this story

Tags