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Jhansi  प्रशासनिक स्वीकृति को अटकी योजनाएं, मुख्य विकास अधिकारी के बाद लोकपाल मनरेगा ने जताई आपत्ति
 

Jhansi  प्रशासनिक स्वीकृति को अटकी योजनाएं, मुख्य विकास अधिकारी के बाद लोकपाल मनरेगा ने जताई आपत्ति


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   गरीबों के चूल्हे गर्म रखने के लिए सन्चालित मनरेगा ब्लाकस्तरीय अफसरों के फीलगुड का जरिया बन गयी है. इसके लिए वह कार्ययोजनाओं की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति में बड़ा खेल करते हैं. जिससे बात बनी उसका प्रस्ताव स्वीकृत और जिसने मोलतोल किया उसके महत्वपूर्ण कार्य के इस्टीमेट महीनों लटक जाते हैं.

काम की तलाश में बड़े शहरों की ओर होने वाले ग्रामीण मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए संचालित महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य कराने की एक प्रक्रिया है. जिसके तहत ग्राम पंचायत प्रस्ताव पास करती है. जिसके बाद तकनीकी सहायक उसको प्राक्कलन बनाते हैं. फिर यह प्राक्कलन संबंधित सचिव के माध्यम से खंड विकास अधिकारी के लाग इन पर भेजे जाते हैं. दो लाख रुपये तक के इस्टीमेट को ग्राम सचिव तकनीकी स्वीकृति जारी करके वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के लिए प्रस्ताव खंड विकास अधिकारी को भेजते हैं. दो से चार लाख रुपये तक कार्यों के इस्टीमेट को तकनीकी स्वीकृति अवर अभियंता व चार से सात लाख के कामों की स्वीकृति सहायक अभियंता व सात लाख रुपये से अधिक के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति अधिशासी अभियंता से कराने के बाद प्राक्कलन खण्ड विकास अधिकारी के लाग इन पर भेज दिए जाते हैं.
इसके बाद खंड विकास अधिकारी इन कार्यों को वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करते हैं. जिसके बाद ही मनरेगा के कार्यों को अमलीजामा पहनाते हैं. जनपद के समस्त विकास कार्यों में मनरेगा के कार्यों की पत्रावलियां सर्वाधिक खण्ड विकास अधिकारी के स्तर पर लंबित रहती हैं. विकास खण्ड स्तर से मनरेगा के प्रस्तावों की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति आसान नहीं होती है. संबंधित सचिव व ग्राम प्रधान विकास खण्ड अधिकारी से कई मुलाकात करते हैं. इस दरम्यान स्वीकृति के एवज में फीलगुड की बात तय होती है. बात बनने पर ही इस्टीमेट को हरी झंडी अन्यथा महत्वपूर्ण कार्यों के प्रस्ताव महीनों लटके रहते हैं. इस संबंध में सीडीओ के बाद लोकपाल मनरेगा झांसी ललितपुर चंद्रकांत रावत ने अपर आयुक्त मनरेगा को पत्र लिखा है. जिसमें पत्रावलियों के लम्बित रखने पर आपत्ति जाताते हुए लेखाकार, सहायक लेखाकार, कंप्यूटर आपरेटर व एपीओ आदि स्टाफ की लाग इन दिए जाने के लिए कहा गया, जिससे इस तरह के मामलों का अनुवश्रवण करके निस्तारण किया जा सके.


झाँसी  न्यूज़ डेस्क
 

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