झालावाड़ स्कूल हादसे पर नरेश मीणा का अनशन खत्म, एक्सक्लूसिव वीडियो में देंखे खाचरिवास ने सरकार को आड़े हाथों लिया
राजस्थान के झालावाड़ जिले में हुए स्कूल हादसे के बाद नरेश मीणा द्वारा शुरू किए गए अनशन का आज तबीयत बिगड़ने के बाद अंत हुआ। पुलिस ने उनकी हालत बिगड़ते देख उन्हें अनशन स्थल से उठाकर एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती कराया। इसके बाद, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरिवास अस्पताल में उनसे मिले और उन्हें समझाइश देकर पानी पिलाया, जिससे उनका अनशन समाप्त हो गया।
अनशन का उद्देश्य और नरेश मीणा की स्थिति
नरेश मीणा ने झालावाड़ स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के परिवारों के लिए मुआवजा और न्याय की मांग करते हुए अनशन शुरू किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार यदि शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे। लेकिन उनकी लगातार बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
पूर्व मंत्री खाचरिवास की प्रतिक्रिया
इस बीच, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरिवास ने एसएमएस हॉस्पिटल में नरेश मीणा से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य का हालचाल लिया। इसके बाद खाचरिवास ने नरेश मीणा को पानी पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया और सरकार को कड़ी नसीहत दी। खाचरिवास ने कहा, "झालावाड़ में हुई स्कूल त्रासदी में दिवंगत हुए बच्चों के परिजनों के साथ जो अन्याय राजस्थान की सरकार ने किया, वह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। राज्य सरकार की लापरवाही से बच्चों की जान गई और सरकार मौन साधे बैठी रही।"
उन्होंने यह भी कहा कि, "सरकार को चाहिए था कि वह तुरंत प्रभावित परिवारों को न्याय देती, लेकिन इसके बजाय सरकार ने स्थिति को अनदेखा किया। यह किसी भी सरकार की नाकामी को दर्शाता है।"
सरकार के खिलाफ खाचरिवास का तीखा हमला
खाचरिवास ने कहा, "राजस्थान सरकार ने मासूम बच्चों और उनके परिवारों के साथ जो अन्याय किया, वह राज्य की सबसे बड़ी नाकामी साबित हो रहा है। अब सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा और न्याय देना चाहिए।"
समाज का आक्रोश और सरकार पर दबाव
नरेश मीणा का अनशन और खाचरिवास का सरकार के खिलाफ तीखा बयान यह साफ दर्शाता है कि झालावाड़ स्कूल हादसा को लेकर जनता और विपक्षी दलों में गुस्सा है। इस घटना ने सरकार पर एक गंभीर दबाव बना दिया है कि वह जल्द से जल्द बच्चों के परिजनों को न्याय दिलाए और उन परिवारों को आर्थिक मदद प्रदान करे जो इस त्रासदी के कारण टूट चुके हैं।

