यह भी दिलचस्प तथ्य है कि 33 साल पहले चुनाव मैदान में राजेश कुमार से जीतनराम मांझी का मुकाबला हुआ था। आज राजेश के पुत्र कुमार सर्वजीत पूर्व सीएम जीतनराम के सामने मजबूती से खड़े हैं। तब राजेश कुमार ने जीतनराम को पटखनी दी थी। इस बार का परिणाम 4 जून को आएगा। आम चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मोक्षनगरी गया में वोटिंग होगी।
25 सालों से रहा है मांझी का कब्जा गया सीट पर पिछले 25 साल से ‘मांझी’ उम्मीदवारों का कब्जा रहा है। 1999 से अबतक तीन पार्टियों भाजपा, राजद और जेडीयू के मांझी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी, 2009 व 2014 में भाजपा के हरि मांझी और 2019 में जदयू के विजय कुमार मांझी ने जीत हासिल की थी। गया से सबसे अधिक तीन बार ईश्वर चौधरी सांसद रहे हैं।
उन्होंने 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर जगजीवन राम के बेटे सुरेश कुमार को हराया था। चौधरी ने 1977 व 1989 में जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की थी। जानकार बताते हैं 1989 में जनसंघ पृष्ठभूमि के सिर्फ दो नेता जीते थे। गुजरात से लालकृष्ण आडवाणी, दूसरे बिहार से ईश्वर चौधरी।
प्रचार के दौरान हुई थी ईश्वर चौधरी की हत्या 1991 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में प्रचार के दौरान 15 मई 1991 कोंच थाना क्षेत्र में ईश्वर चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं 22 जनवरी 2005 को विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान डुमरिया के बिहुला कला गांव में पूर्व सांसद राजेश कुमार की हत्या कर दी गई थी। उस समय इसे नक्सली घटना माना गया था। गया के छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर नक्सलियों का प्रभाव रहा है। शेरघाटी में आमस, बोधगया विधानसभा के फतेहपुर और टनकुप्पा प्रखंड और बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र में नक्सलियों की धमक है।जमशेदपुर न्यूज़ डेस्क!!!