Samachar Nama
×

Jamshedpur विधानसभा चुनाव के ठीक पहले झामुमो को एक और झटका जमशेदपुर में लगा 

vv

जमशेदपुर न्यूज़ डेस्क।। विधानसभा चुनाव से पहले ही जमशेदपुर में झामुमो को एक और झटका लगा है. जेएमएम के केंद्रीय नेता बाबर खान ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि यह पार्टी अब शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन की नहीं रही. इस पार्टी को पर्दे के पीछे से कोई और चला रहा है. झामुमो में मुसलमानों पर लगातार अत्याचार हो रहा है. संगठन में अपने 35 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने बहुत कुछ सहा, लेकिन अब झामुमो को मुसलमानों की चिंता नहीं है, इसलिए उन्हें भी ऐसे संगठन की चिंता नहीं है. मंगलवार को मानगो स्थित आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बाबर खान ने कहा कि भाजपा के तुष्टीकरण ने झामुमो में ऐसा भय पैदा कर दिया है कि जिला 20 सूत्री, जिला, प्रखंड और नगर निगम में किसी भी अल्पसंख्यक को सीट नहीं दी जायेगी. केरी में जिन बूथों पर मुस्लिम समुदाय ने सहयोगी पार्टी को 600-700 वोट दिए थे, उन्हें सम्मानित करने के बजाय उन मतदान केंद्रों के सदस्यों को सम्मान का मंच दिया जा रहा है, जहां एक दर्जन से भी कम वोट पड़े थे. बाबर खान ने कहा कि वह 1989 में झामुमो में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने मानगो, जमशेदपुर और कोल्हान के हर छोटे-बड़े आयोजन और आंदोलन में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. जल्द ही वे अपने नये राजनीतिक कार्यक्रमों की घोषणा करेंगे.

सैकड़ों उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं हुई, उर्दू अकादमी का गठन नहीं हुआ : बाबर
इस्तीफा देने के बाद बाबर खान ने कहा कि जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में लगभग चार लाख मतदाताओं की आबादी है, जिसमें 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, फिर भी इस समुदाय के लोगों को राजनीति में प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. गौ सेवा आयोग बनाने में जल्दबाजी दिखाने वाली हेमंत सरकार मॉब लिंचिंग के सामने बेबस दिखी. सैकड़ों उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं हुई. उर्दू भाषा को दूसरा दर्जा दिया गया, लेकिन आज तक कोई उर्दू अकादमी नहीं बनी। झारखंड राज्य तो बन गया, लेकिन मदरसा बोर्ड का गठन नहीं हुआ. अल्पसंख्यक वित्तीय निगम आयोग का गठन नहीं किया गया है। सैकड़ों मदरसों को आज तक सरकारी मान्यता नहीं दी गयी है. शास्त्रीनगर में मस्जिदों पर हमला, नमाज अदा कर रहे नमाजी गिरफ्तार। चार महीने तक जेल में रखा गया. आरोपियों को 10 दिनों के अंदर रिहा करने पर झामुमो की चुप्पी ने उन्हें और समाज को तबाह कर दिया है. रांची दंगे में भी मुसलमानों को आज तक न्याय नहीं मिला. मुसलमानों को खुश करने के लिए चुनाव से पहले वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था.

झारखंड न्यूज़ डेस्क।।

Share this story

Tags