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Jamshedpur झारखंड में आंध्र प्रदेश की तर्ज पर स्थानीय नीति बने
 

Jamshedpur झारखंड में आंध्र प्रदेश की तर्ज पर स्थानीय नीति बने


झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने  कहा कि उनकी पहल पर वर्ष 2015 में स्थानीय नीति प्रारूप समिति बनी थी, जिसमें पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा, स्व. बीपी केसरी, स्व. ईश्वरी प्रसाद, स्व. डॉ. निर्मल मिंज, प्रो. संजय बसु मल्लिक, पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, डॉ. वासवी कीड़ो, अधिवक्ता रश्मि कात्यायन व प्रभाकर तिर्की शामिल थे.
उस समय प्रस्तावित गैर सरकारी स्थानीय नीति के प्रारूप को रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, गृह सचिव राजीव अरुण एक्का एवं झारखंड सरकार के सचिव वंदना डाडेल को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सुपुर्द किया जाएगा. बेसरा ने कहा कि झारखंड के बुद्धिजीवी, संविधान विशेषज्ञ एवं कानूनविदों से राय परामर्श कर गैर सरकारी वैकल्पिक स्थानीय नीति का प्रारूप तैयार किया गया है. उन्होंने स्थानीय नीति के प्रारूप का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में भारत के संविधान के अनुच्छेद- 371 (डी) में आंध्र प्रदेश राज्य के लिए विशेष उपबंध के तर्ज पर स्थानीय नीति तथा संविधान में प्रावधानों के अनुरूप नौवीं अनुसूची के तहत तमिलनाडु की तर्ज पर आरक्षण नीति बनाई जानी चाहिए.
बेसरा ने कहा कि 2002 में झारखंड हाईकोर्ट द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा- 85 के तहत लिए गए संकल्प यानी जिले के अंतिम सर्वे सेटलमेंट मं  जिनके नाम दर्ज हैं, उन्हीं के आश्रितों को स्थानीय निवासी माना जाए. झारखंड की भाषा संस्कृति एवं परंपरा को जोड़ा जाए. बेसरा का कहना है कि अविभाजित बिहार की स्थापना 1912 में हुई थी, उससे भी पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य शासनकाल में पहले कैडेस्ट्रेल सर्वे एवं बाद में रीविजनल सर्वे हुआ था.
इसमें 1833, 1869, 1907, 1913, 1925, 1927, 1932, 1934, 1958, 1964, 1975, 1976, 1981 एवं 1995 का सर्वे शामिल है.
निष्कर्ष में बेसरा ने सुझाव दिया कि 1932 के खतियान को आधार मानते हुए उससे पहले एवं उसके बाद जिलास्तरीय अंतिम सर्वे सेटेलमेंट के खतियान को शामिल करते हुए स्थानीय नीति निर्धारित किया जाना सर्वमान्य होगा.

जमशेदपुर न्यूज़ डेस्क !!!
 

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