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Jaisalmer में पाकिस्तानी बहुओं को भारत छोड़ने का आदेश, पर जैसलमेर से उठी इंसानियत की आवाज ने छू लिया दिल

Jaisalmer में पाकिस्तानी बहुओं को भारत छोड़ने का आदेश, पर जैसलमेर से उठी इंसानियत की आवाज ने छू लिया दिल

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनावपूर्ण संबंधों के बीच राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसलमेर से एक मार्मिक और हृदय विदारक कहानी सामने आई है। उन्होंने न केवल मानवता का उदाहरण प्रस्तुत किया, बल्कि रिश्तों की मजबूती और मानवीय भावनाओं की शक्ति पर भी प्रकाश डाला।

वर्ष 2023 में जैसलमेर के देवीकोट निवासी सालेह मोहम्मद और उनके चचेरे भाई मुश्ताक अली पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी जिले में अपनी मौसी से मिलने गए थे। वहां उसकी मुलाकात करम खातून (21) और सचुल (22) नाम की दो युवतियों से हुई। ये मुलाकातें जल्द ही प्यार में बदल गईं और दोनों ने अपने-अपने परिवारों की सहमति से अगस्त 2023 में इन पाकिस्तानी लड़कियों से शादी कर ली। शादी को लगभग दो साल हो गए हैं, लेकिन दोनों दुल्हनों को भारत आने के लिए वीजा पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

करीब डेढ़ साल बाद वीजा मिला
करीब 20 महीने की कानूनी और दूतावास प्रक्रियाओं के बाद आखिरकार भारत सरकार ने अप्रैल 2025 में इन दोनों पाकिस्तानी दुल्हनों को अल्पकालिक वीजा प्रदान कर दिया। 11 अप्रैल को दोनों बहुएं जैसलमेर पहुंच गईं और अपने पतियों के साथ बसने लगीं। परिवारों में खुशी का माहौल था। लेकिन कौन जानता था कि यह खुशी और शांति ज्यादा दिन तक नहीं रहेगी।

25 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। सुरक्षा कारणों से केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से पाकिस्तान के लिए सभी अल्पकालिक वीज़ा रद्द कर दिए हैं। इसके तहत करम खातून और सचुल को भी महज 10 दिन बाद भारत छोड़ने का आदेश दिया गया।

सदमे में परिवार, न्याय की गुहार
यह खबर सुनकर दोनों दूल्हों और उनके परिवारों की दुनिया उजड़ गई। मुश्ताक अली इस आघात को सहन नहीं कर सके और सदमे के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें जोधपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उधर, करम खातून के ससुर हाजी अब्दुल्ला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरी बहू के माता-पिता अब जीवित नहीं हैं, उसे पाकिस्तान भेजना उसके भविष्य को अंधकार में धकेलने जैसा होगा। दोनों बहुएं भी रोते हुए गुहार लगाने लगीं कि पतियों से अलग होने के बाद वे कैसे जीवनयापन कर पाएंगी। हमने प्रेम के लिए विवाह किया था, धर्म, कानून और मानवता ने हमें एक किया है, तो फिर यह रिश्ता हमसे क्यों छीना जा रहा है?

प्रशासनिक हस्तक्षेप से अस्थायी राहत
स्थिति को देखते हुए, सालेह मोहम्मद और मुश्ताक अली के परिवारों ने पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर एफआरओ (विदेशी पंजीकरण कार्यालय) और राज्य गृह विभाग को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर मदद की अपील की। परिवारों ने विवाह के सभी वैध दस्तावेज भी प्रस्तुत किये।

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