जैसलमेर के बासनपीर गांव में विवाद तेज, प्रशासन अलर्ट, सांसद और विधायक पहुंच रहे
जैसलमेर जिले के सदर थाना क्षेत्र के बासनपीर गांव में चल रहे विवाद ने अब सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप ले लिया है। 10 जुलाई को यहाँ ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण कार्य के दौरान शुरू हुआ मामूली विवाद अब हिंसक संघर्ष में बदल चुका है। प्रशासन ने इलाके में धारा 163 लागू कर सुरक्षा कड़ी कर दी है, लेकिन राजनीतिक दलों के नेता यहां जबरन पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
विवाद की शुरुआत और स्थिति
बासनपीर गांव में छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर 10 जुलाई को मामूली बहस हुई थी, जो बाद में बढ़कर सांप्रदायिक और राजनीतिक मुद्दे में तब्दील हो गई। विवाद के बाद इलाके में तनाव के चलते प्रशासन ने धारा 163 लागू कर इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। बासनपीर के अलावा, फतेहगढ़ में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है जहां सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल के काफिले को रोकने की तैयारी की जा रही है। फतेहगढ़ बासनपीर से करीब 90 किलोमीटर दूर है और इस क्षेत्र को बैरिकेडिंग से घेर दिया गया है।
राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासन की मुस्तैदी
विवाद के बढ़ने के साथ ही जैसलमेर-बाड़मेर के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और बायतु विधायक हरीश चौधरी बासनपीर पहुंच रहे हैं। उनके आने से इलाके में राजनीतिक उबाल बढ़ गया है। वहीं, प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क है और सुरक्षा प्रबंधों को चाक-चौबंद कर रखा है। पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने इलाके में बैरिकेडिंग लगा दी है और बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है।
प्रशासन की चिंताएं
प्रशासन इस बात को लेकर चिंतित है कि राजनीतिक हस्तक्षेप से विवाद और भड़क सकता है और स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है। इसलिए सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
आगे की संभावनाएं
बासनपीर का यह विवाद अब केवल स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच भी जोर-आजमाइश शुरू हो चुकी है। क्षेत्र में शांति कायम रखने के लिए प्रशासन और पुलिस सतर्क हैं। हालांकि, नेताओं के पहुंचने से माहौल में और तनाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है।

