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Jaipur विश्व मिर्गी दिवस:60% मरीजों में बचपन से शुरू हो जाते हैं दौरे
 

Jaipur विश्व मिर्गी दिवस:60% मरीजों में बचपन से शुरू हो जाते हैं दौरे

राजस्थान न्यूज डेस्क, 60 प्रतिशत मिर्गी के मरीजों में बचपन से ही दौरे आना शुरू हो जाते हैं। 80 से 90 प्रतिशत बच्चे इस दौरे से उम्र के साथ ठीक हो जाते हैं। सही इलाज से वो मिर्गी के मरीज नहीं बनते। विश्व मिर्गी दिवस के मौके पर  ने जब बच्चों में मिर्गी की स्थिति को लेकर एक्सपर्ट्स से बात की तो कई जानकारियां सामने आई।

डॉक्टर्स की मानें तो अगर मां और पिता दोनों मिर्गी के मरीज हैं तो बच्चे को मिर्गी होने का खतरा 10 प्रतिशत तक होता है। इसे अच्छे मेडिकल केयर से बचाव किया जा सकता है। गर्भावस्था के 10 से 12 हफ्ते के बीच लेवल-2 सोनोग्राफी टेस्ट करवाना चाहिए जिससे गर्भस्थ शिशु में संभावित विकार के बारे में पता लगाया जा सके।

एक साल से पहले मिर्गी आने पर बच्चे का विकास प्रभावित

अगर बच्चे को एक साल की उम्र से पहले मिर्गी का दौरा आता है तो उसके दिमाग का विकास रुक सकता है या धीरे हो सकता है। मिर्गी से बच्चे के ब्रेन फंक्शन प्रभावित हो जाते हैं जिससे वह लेट बैठना, चलना, बोलना सीख पता है। अगर बच्चा किसी भी तरह का असामान्य मूवमेंट करता है तो उसे डॉक्टर से चेक कराया जाना चाहिए। दुनियाभर में पैदा होने वाले कुल बच्चों में से एक प्रतिशत बच्चों को मिर्गी का दौरा आए सकता है। डिलिवरी के समय ऑक्सीजन की कमी, पैदा होने के बाद ना रोने से या जेनेटिकल कारणों से बच्चे को मिर्गी हो सकती है।


जयपुर न्यूज डेस्क!!!
 

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