क्या है AIBE का चक्कर? जिसके कारण राजस्थान में वकीलों की प्रैक्टिस पर लगाई रोक
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नए निर्देशों के तहत राजस्थान में सैकड़ों वकीलों के प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिन वकीलों ने 1 जुलाई 2010 के बाद एलएलबी की डिग्री पूरी की है और दो साल के भीतर अनिवार्य अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) उत्तीर्ण नहीं की है, वे अब अदालत में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। इस निर्णय का प्रभाव पूरे राज्य में महसूस किया जा रहा है, जिससे सीकर और झुंझुनू जैसे जिलों के सैकड़ों वकील प्रभावित हो रहे हैं।
राजस्थान में AIBE परीक्षा अनिवार्य क्यों है?
यह कार्रवाई क्यों की गई? बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार, किसी भी नए वकील के लिए एआईबीई परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। यह परीक्षा यह सुनिश्चित करती है कि वकीलों के पास न्यूनतम कानूनी योग्यता है। हालांकि, कई वकील तय समय सीमा के भीतर यह परीक्षा पास नहीं कर पाए, जिसके कारण राजस्थान बार काउंसिल ने उनकी प्रैक्टिस पर रोक लगाने का फैसला किया।
सीकर और झुंझुनू के वकीलों पर प्रभाव
सीकर जिले में 656 तथा झुंझुनू में 236 वकीलों के प्रवेश पर प्रतिबंध हटा दिया गया है। यह सूची संबंधित जिला न्यायालय परिसर में प्रकाशित कर दी गई है। इससे जिले में हड़कंप मच गया है, क्योंकि सूची में कई ऐसे वकील भी शामिल हैं जो 10-15 साल से वकालत कर रहे थे।
अब प्रतिबंधित वकीलों को पुनः एआईबीई परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। इसके बिना वे अदालत में वकालत नहीं कर पाएंगे। बार एसोसिएशन पदाधिकारियों ने इस मामले पर राजस्थान बार काउंसिल से परामर्श कर उचित समाधान की मांग की है।
वरिष्ठ वकीलों की प्रतिक्रिया
कई वरिष्ठ वकीलों का मानना है कि वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे वकीलों को विशेष सुविधाएं दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि बार काउंसिल को यह नियम लागू करने से पहले स्पष्ट दिशा-निर्देश देने चाहिए थे ताकि कोई वकील भ्रमित न हो।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया का यह निर्णय कानूनी पेशे में गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। हालाँकि, इससे प्रभावित वकीलों के लिए अब बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस फैसले में कोई ढील दी जाती है या नहीं।