पेपर लीक कर पास हुई महिला वनरक्षक समेत तीन गिरफ्तार, वीडियो में जानें दो वनरक्षक और एक दलाल शामिल

वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 में हुए पेपर लीक मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को एक युवती समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई में खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार किए गए दो आरोपी पहले ही वनरक्षक के पद पर चयनित हो चुके हैं और उन्होंने लीक हुए प्रश्नपत्र के आधार पर परीक्षा पास की थी। तीसरे आरोपी के रूप में एक महिला दलाल को गिरफ्तार किया गया है, जिसने लाखों रुपए लेकर उम्मीदवारों को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया था।
एसओजी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए दो युवक वर्तमान में वनरक्षक के रूप में कार्यरत हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि इन्होंने पेपर लीक की जानकारी पहले से प्राप्त कर ली थी और परीक्षा देने से पहले उस सामग्री को पढ़कर तैयारी की थी। दोनों वनरक्षकों ने पेपर के बदले दलाल को कुल मिलाकर 4 लाख रुपए की राशि दी थी, जिसमें प्रत्येक ने 2-2 लाख रुपए का भुगतान किया था।
स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने बताया कि इस पूरे नेटवर्क को संचालित करने वाली महिला आरोपी ने अन्य कई उम्मीदवारों को भी लीक प्रश्नपत्र मुहैया कराया था। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक कर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और इसमें शामिल अन्य आरोपियों की तलाश भी तेज कर दी गई है। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि वन विभाग में नियुक्त इन दोनों आरोपियों को किस आधार पर नियुक्ति दी गई थी और क्या विभागीय स्तर पर इस बात की कोई जानकारी थी।
एसओजी प्रमुख ने कहा, "हमने इस मामले में ठोस साक्ष्य एकत्र किए हैं और आगे की जांच में यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लीक हुआ प्रश्नपत्र कहां से प्राप्त हुआ था और इसके पीछे कौन-कौन लोग हैं।"
यह मामला राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करता है। पहले भी व्यापमं घोटाले जैसे मामलों ने प्रदेश की साख पर सवाल उठाए हैं, और अब यह नया मामला शिक्षा प्रणाली और भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर फिर से बहस छेड़ सकता है।
इस घटना के सामने आने के बाद राज्य सरकार और परीक्षा आयोजन समितियों पर पारदर्शिता और सख्ती से नियमों के पालन की ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है। आम जनता और अभ्यर्थियों के बीच यह मांग उठने लगी है कि इस तरह के मामलों में त्वरित कार्रवाई हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।