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अरावली को डिग्रेडेशन से बचाने केंद्र सरकार की बड़ी पहल, बनेगी 1400 किमी लंबी ‘अरावली ग्रीन वॉल

अरावली को डिग्रेडेशन से बचाने केंद्र सरकार की बड़ी पहल, बनेगी 1400 किमी लंबी ‘अरावली ग्रीन वॉल

देश की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में शामिल अरावली रेंज को डिग्रेडेशन (अवनयन) से बचाने के लिए केंद्र सरकार एक महत्त्वाकांक्षी और दूरदर्शी योजना पर काम शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के विस्तार में फैली अरावली श्रृंखला पर 1400 किलोमीटर लंबी और 5 किलोमीटर चौड़ी 'अरावली ग्रीन वॉल' बनाई जाएगी। यह ग्रीन वॉल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर होगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में भी सहायक साबित होगी।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य अरावली की जैव विविधता को संरक्षित करना, भू-क्षरण को रोकना और हरित आवरण को बढ़ाना है। इसके अंतर्गत बड़े पैमाने पर पौधारोपण, चैक डैम निर्माण, और औषधीय पौधों का रोपण किया जाएगा, जिससे न केवल पर्यावरणीय लाभ होंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों को आजीविका के नए अवसर भी मिलेंगे।

क्यों जरूरी है ‘अरावली ग्रीन वॉल’?

अरावली पर्वतमाला पिछले कई वर्षों से खनन, शहरीकरण, अवैध अतिक्रमण और वनों की कटाई जैसी समस्याओं से जूझ रही है। इसका असर न केवल पर्यावरण पर पड़ा है, बल्कि क्षेत्र में जल संकट, सूखा और वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं भी उभरी हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत राजस्थान और हरियाणा के कई इलाके अरावली के क्षरण से प्रभावित हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली ग्रीन वॉल के निर्माण से इन समस्याओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा। यह योजना ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ अफ्रीका की तर्ज पर बनाई गई है, जो सहारा रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए शुरू की गई थी।

क्या होंगे योजना के प्रमुख कार्य:

  • बड़े पैमाने पर स्थानीय प्रजातियों के वृक्षारोपण

  • वनीकरण और पुनः वनीकरण कार्यक्रम

  • चैक डैम और जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण

  • औषधीय पौधों और जैव विविधता को बढ़ावा देना

  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी और रोजगार सृजन

राज्य सरकारों का सहयोग भी अहम
इस योजना को सफल बनाने के लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात की राज्य सरकारों की साझेदारी भी जरूरी होगी। इसके लिए केंद्र सरकार सभी संबंधित राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर रही है। योजना के क्रियान्वयन में वन विभाग, पर्यावरण मंत्रालय और स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

केंद्र सरकार का यह कदम पर्यावरणीय संकटों से निपटने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह ना केवल अरावली को नया जीवन देगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण भी प्रदान करेगी।

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