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कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने ऑस्ट्रेलिया गोलीकांड पर दिया विवादित बयान, वीडियो में देखें बोले-कोई हिंदू नहीं था

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने ऑस्ट्रेलिया गोलीकांड पर दिया विवादित बयान, वीडियो में देखें बोले-कोई हिंदू नहीं था

जयपुर के मानसरोवर स्थित वीटी रोड मेला ग्राउंड में आयोजित कथा के दौरान कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुई गोलीकांड की घटना पर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि वहां कुछ शांति दूतों ने समुद्र के बीच गोलियां चलाईं, जबकि यहूदी लोग अपना धार्मिक उत्सव मना रहे थे।

देवकीनंदन ठाकुर ने कथाक्रम के दौरान कहा कि उस समय वहां कोई कृष्ण जन्मभूमि या हिंदू धार्मिक गतिविधियां नहीं हो रही थीं। उन्होंने बताया कि उस समुद्र तट पर कोई जय श्री राम के नारे नहीं लगा रहा था, कोई गीता का पाठ नहीं कर रहा था और सनातन बोर्ड की कोई मांग भी नहीं की जा रही थी। “वहां कोई भी हिंदू नहीं था। इसके बावजूद काफिरों को मारने के लिए एक विशेष धर्म के व्यक्ति समुद्र तट पर गए। उनकी दृष्टि में हम सब काफिर हैं,” ठाकुर ने कहा।

उनके इस बयान ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी है। विशेषज्ञों और नागरिकों ने इसे धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला और संवेदनशील मुद्दों पर असंवेदनशील टिप्पणी बताया है। कुछ लोगों ने इसे अंतरराष्ट्रीय घटना के संदर्भ में विवादास्पद और अनुचित टिप्पणी माना है।

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर अपने कथाओं में अक्सर सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर टिप्पणियां करते रहे हैं। लेकिन इस बार उनके बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। कई लोगों ने कहा कि यह बयान विदेशी घटना को भारतीय दृष्टिकोण से जोड़कर पेश किया गया है और इससे धार्मिक असहमति बढ़ सकती है।

कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। कुछ दर्शक उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनते रहे, जबकि कई लोग अपने विचार साझा करते हुए इस बयान पर चिंता जताई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कथावाचक ने अपने बयान को कथा के क्रम में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समझाने की कोशिश की।

विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक मंच पर ऐसे बयान देने से समाज में धार्मिक तनाव बढ़ सकता है और इसे बेहद संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने प्रशासन और आयोजकों से अपील की है कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों में संतुलित और संवेदनशील दृष्टिकोण बनाए रखा जाए।

इससे पहले भी देवकीनंदन ठाकुर के कथाओं में विवादित टिप्पणियों को लेकर चर्चा होती रही है। उनके समर्थक इसे धर्म और संस्कृति की व्याख्या मानते हैं, जबकि आलोचक इसे असंवेदनशील और समाज में अलगाव बढ़ाने वाला करार देते हैं।

हालांकि, अभी तक कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर या कार्यक्रम आयोजकों की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है। यह देखना बाकी है कि इस विवाद के बाद सामाजिक और धार्मिक हलकों में क्या प्रतिक्रिया आती है।

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